उत्तर प्रदेश में 9 सीटों पर उपचुनाव 13 नवंबर को होने जा रहे हैं, जो राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकते हैं। ये उपचुनाव विधानसभा की उन सीटों पर हो रहे हैं, जो विभिन्न कारणों से खाली हो चुकी हैं। ये चुनाव राजनीतिक दलों के लिए न केवल शक्ति प्रदर्शन का मौका हैं, बल्कि भविष्य की राजनीतिक दिशा को भी प्रभावित करेंगे।
मिल्कीपुर सीट का चुनाव टला:
फैजाबाद जिले की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर चुनाव प्रक्रिया को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। इसके पीछे का कारण स्थानीय प्रशासनिक और चुनावी तैयारियों में आई कुछ रुकावटों को बताया जा रहा है। हालांकिउत्तर प्रदेश में 9 सीटों पर उपचुनाव 13 नवंबर को इस सीट के चुनाव को लेकर नई तारीखों का ऐलान जल्द ही किया जा सकता है।
मुरादाबाद की कुंदरकी और मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट:
मुरादाबाद की कुंदरकी और मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीटें महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं। कुंदरकी में पिछली बार कड़ी टक्कर देखने को मिली थी, और मीरापुर में जातिगत समीकरण महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। दोनों सीटों पर मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (BJP) और समाजवादी पार्टी (SP) के बीच होने की उम्मीद है।
गाजियाबाद सीट:
गाजियाबाद जिले की गाजियाबाद विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने जा रहा है। यह क्षेत्र NCR में होने के कारण औद्योगिक और शहरी मुद्दों से जूझता है, और इस चुनाव में इन मुद्दों पर विशेष फोकस रहेगा। BJP की पकड़ इस क्षेत्र में काफी मजबूत मानी जाती है, लेकिन विपक्ष भी अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में है।
अलीगढ़ की खैर (सु.) सीट:
अलीगढ़ की खैर (सु.) सीट पर भी उपचुनाव 13 नवंबर को होना है। यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है और यहां पर दलित वोट बैंक का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा। खैर की सीट पर पिछले चुनावों में खैर सीट पर लगातार दो बार से BJP जीत रही है , चुनाव दिलचस्प होगा
मैनपुरी की करहल सीट:
मैनपुरी की करहल सीट पर भी उपचुनाव होंगे। यह क्षेत्र समाजवादी पार्टी के गढ़ के रूप में जाना जाता है, और इस बार भी चुनावी माहौल में SP का प्रभाव देखने को मिल सकता है। करहल विधानसभा सीट पर पारिवारिक और स्थानीय राजनीति का दबदबा देखने को मिलता है।
कानपुर की सीसामऊ सीट:
कानपुर की सीसामऊ सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं। कानपुर में औद्योगिक मुद्दों के साथ-साथ बेरोजगारी और आधारभूत संरचना चुनावी बहस का मुख्य हिस्सा बने रहेंगे। यह सीट राजनीतिक रूप से खास मानी जाती है, जहां जातिगत समीकरण भी निर्णायक भूमिका निभाएंगे।
मिर्जापुर की मझवा सीट:
मिर्जापुर की मझवा विधानसभा सीट पर भी 13 नवंबर को उपचुनाव होने जा रहे हैं। मझवा क्षेत्र में सामाजिक मुद्दे और स्थानीय विकास चुनावी चर्चा का केंद्र बने हुए हैं।
प्रयागराज की फूलपुर सीट:
फूलपुर सीट पर उपचुनाव की घोषणा हो चुकी है। यह सीट ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है और यहां कई राष्ट्रीय नेता चुनावी लड़ाई लड़ चुके हैं। इस बार भी फूलपुर सीट पर कड़ा मुकाबला होने की संभावना है।
अंबेडकरनगर की कटहरी सीट:
अंबेडकरनगर जिले की कटहरी सीट पर भी उपचुनाव होंगे। कटहरी सीट पर किसानों और ग्रामीण मुद्दों को प्रमुखता दी जाएगी, जो चुनावी रणनीति को प्रभावित कर सकते हैं। यहां भी दलित और पिछड़े वर्ग के वोट निर्णायक साबित हो सकते हैं।
इन उपचुनावों के नतीजे 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले राजनीतिक दलों के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक साबित हो सकते हैं