हिन्दुस्तान मिरर: अलीगढ़, 20 जनवरी:
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) की मौलाना आजाद लाइब्रेरी द्वारा आयोजित छह दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ शनिवार को हुआ। इस कार्यशाला में विशेषज्ञों ने ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर कोहा और डी-स्पेस को पुस्तकालय प्रणाली में सुधार और डिजिटल युग के लिए अनुकूल बनाने में एक नई क्रांति के रूप में वर्णित किया।
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में कोहा सॉफ्टवेयर के मूल डेवलपर क्रिस्टोफर कॉर्मैक ने ऑनलाइन मुख्य भाषण दिया। उन्होंने बताया कि कोहा और डी-स्पेस जैसे आधुनिक ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर पुस्तकालय प्रबंधन प्रणाली को न केवल सरल बनाते हैं, बल्कि इससे पुस्तकालय कर्मियों और उपयोगकर्ताओं की तकनीकी दक्षता भी बढ़ती है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि कोविड-19 के बाद के युग में इन सॉफ़्टवेयरों ने डिजिटल संसाधनों को उपयोगकर्ताओं तक पहुंचाने में बड़ा योगदान दिया है।
प्रौद्योगिकी के महत्व पर जोर
कार्यशाला में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के पुस्तकालय और सूचना विज्ञान विभाग के प्रमुख प्रो. आदित्य त्रिपाठी और एएमयू के रजिस्ट्रार मोहम्मद इमरान (आईपीएस) ने विशेष रूप से भाग लिया। अपने संबोधन में उन्होंने शैक्षणिक प्रगति में प्रौद्योगिकी की भूमिका को रेखांकित करते हुए प्रतिभागियों से अपील की कि वे अपनी व्यावसायिक दक्षताओं को बढ़ाने के लिए ओपन-सोर्स टूल का अधिकतम उपयोग करें।
ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर का व्यावहारिक प्रशिक्षण
कार्यशाला की संयोजक और एएमयू लाइब्रेरियन प्रो. निशात फातिमा ने ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि कार्यशाला के माध्यम से प्रतिभागियों को कोहा और डी-स्पेस का व्यावहारिक प्रशिक्षण मिलेगा, जिससे वे डिजिटल रिपॉजिटरी के निर्माण और प्रबंधन में कुशल बनेंगे।
कार्यक्रम के समन्वयक और उप पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. मुनव्वर इकबाल ने कार्यशाला के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह आयोजन पुस्तकालय पेशेवरों के बीच तकनीकी कौशल बढ़ाने और देश के विभिन्न हिस्सों से आए प्रतिभागियों को आधुनिक तकनीक से अवगत कराने का अवसर प्रदान करेगा।
देशभर से 90 प्रतिभागियों ने लिया भाग
इस कार्यशाला में देशभर के 90 से अधिक प्रतिभागी, जिनमें पांडिचेरी, असम, पश्चिम बंगाल, शिलांग, हैदराबाद और दिल्ली के पुस्तकालय पेशेवर शामिल हैं, ने भाग लिया।
रिपोर्ट: हिन्दुस्तान मिरर