हिन्दुस्तान मिरर :अलीगढ़, 30 जनवरी: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के आधुनिक भारतीय भाषा विभाग ने ‘महर्षि अगस्त्य और उनके योगदान’ पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया। इस आयोजन का उद्देश्य महर्षि अगस्त्य की धरोहर को उजागर करना था, जो भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की पहल, काशी तमिल संगमम के तहत आयोजित किया गया था।
उद्घाटन समारोह में विचार व्यक्त करते हुए प्रोफेसर टी.एन. सतीसन ने दी महर्षि अगस्त्य की भूमिका पर टिप्पणी
संगोष्ठी का उद्घाटन कला संकाय के डीन प्रोफेसर टी.एन. सतीसन ने किया। उन्होंने भारतीय महाकाव्य रामायण और महाभारत में महर्षि अगस्त्य की महत्वपूर्ण भूमिका और दक्षिण-पूर्व एशिया की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, और बौद्धिक परंपराओं में उनके प्रभाव पर प्रकाश डाला।
संगोष्ठी का उद्देश्य और महर्षि अगस्त्य की धरोहर का महत्व
डॉ. आर. तमिलसेल्वन ने संगोष्ठी में उपस्थित वक्ताओं और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में बताया। उन्होंने महर्षि अगस्त्य के योगदान को उजागर करने के महत्व को रेखांकित किया। इस संगोष्ठी के आयोजन के पीछे काशी तमिल संगमम की पहल थी, जिसका उद्देश्य भारतीय संस्कृति और परंपराओं को प्रोत्साहित करना है।
महर्षि अगस्त्य के सिद्ध चिकित्सा पद्धति पर डोक्युमेंट्री वीडियो प्रदर्शित
संगोष्ठी में महर्षि अगस्त्य के सिद्ध चिकित्सा पद्धति पर एक डोक्युमेंट्री वीडियो भी प्रदर्शित किया गया। यह वीडियो डॉ. ए. गीता, रिसर्च ऑफिसर (सिद्ध), आयुष वेलनेस सेंटर, राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली ने तैयार किया था, जो महर्षि अगस्त्य के चिकित्सा योगदान को दर्शाता है।
विद्वानों द्वारा महर्षि अगस्त्य के योगदान पर चर्चा
संगोष्ठी में विभिन्न विद्वानों ने महर्षि अगस्त्य के योगदान पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
- प्रोफेसर एस.पी. शर्मा (पूर्व अध्यक्ष, संस्कृत विभाग) ने भारतीय ज्ञान प्रणाली में महर्षि अगस्त्य के योगदान और प्राचीन भारतीय साहित्य में उनकी उपस्थिति पर विस्तृत चर्चा की।
- प्रोफेसर एम. शाहुल हमीद (हिंदी विभाग के प्रोफेसर) ने महर्षि अगस्त्य को तोल्काप्पियार के गुरु के रूप में प्रस्तुत किया, जो तमिल के पहले व्याकरणिक ग्रंथ के लेखक थे। उन्होंने तमिल साहित्य में उनके योगदान को भी विस्तार से बताया।
- डॉ. पठान कासिम खान (तेलुगू विभाग के सहायक प्रोफेसर) ने भारतीय भाषाओं में महर्षि अगस्त्य से संबंधित संदर्भों को संकलित कर प्रस्तुत किया।
संगोष्ठी में छात्रों और शोधार्थियों ने भाग लिया
संगोष्ठी में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शिक्षक, शोधार्थी, और स्नातक-स्नातकोत्तर छात्रों ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में छात्रों की प्रतिक्रिया ली गई और भागीदारी प्रमाणपत्र वितरित किए गए।
धन्यवाद ज्ञापन और समन्वय
कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन से हुआ, जिसे प्रोफेसर क्रांति पाल (पंजाबी विभाग के प्रोफेसर) ने किया। संगोष्ठी का समन्वय डॉ. आर. तमिलसेल्वन, सहायक प्रोफेसर, तमिल, आधुनिक भारतीय भाषाओं विभाग ने किया।