हिन्दुस्तान मिरर: अलीगढ़, 31 जनवरी: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (जेएनएमसी) के टीबी और चेस्ट डिजीज विभाग ने ‘100 दिन के तीव्र टीबी अभियान’ के तहत एक सेंसिटाइजेशन कार्यक्रम और मल्टीड्रग-रेसिस्टेंट तपेदिक (एमडीआर टीबी) पर सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य टीबी उन्मूलन के प्रति जागरूकता बढ़ाना, नई चिकित्सा पद्धतियों पर चर्चा करना और मल्टीडिसिप्लिनरी दृष्टिकोण अपनाने पर जोर देना था।
टीबी उन्मूलन के लिए 100 दिन का अभियान
कार्यक्रम के दौरान टीबी और चेस्ट डिजीज विभाग के अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश राज्य कार्यबल के उपाध्यक्ष, प्रोफेसर मोहम्मद शमीम ने ‘100 दिन के तीव्र टीबी अभियान’ को प्रभावी रूप से प्रबंधित करने के लिए उठाए गए कदमों और योजनाओं की रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य टीबी की शीघ्र पहचान, इलाज और रोकथाम को प्राथमिकता देना है।
इसके अलावा, उप-जिला तपेदिक अधिकारी (उप-डीटीओ) डॉ. इमरान सिद्दीकी ने भी इस अभियान के मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला और बताया कि किस तरह से यह पहल टीबी के उन्मूलन में मील का पत्थर साबित हो सकती है।
स्वास्थ्य कर्मियों को दिलाई गई शपथ
प्रो. मोहम्मद शमीम ने मेडिकल कॉलेज के विभिन्न विभागों के अध्यक्षों, रेजीडेंट डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ और राष्ट्रीय तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के कर्मचारियों को टीबी उन्मूलन में सक्रिय रूप से भाग लेने और संवेदनशील आबादी की स्क्रीनिंग करने की शपथ दिलाई। उन्होंने जोर देकर कहा कि समुदाय-आधारित प्रयासों के बिना टीबी को पूरी तरह खत्म करना संभव नहीं है, इसलिए स्वास्थ्य पेशेवरों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
सीएमई में एमडीआर टीबी पर विशेषज्ञों की चर्चा
सीएमई के दौरान टीबी और एमडीआर टीबी से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर विशेषज्ञों ने विस्तार से चर्चा की:
• माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉ. शारिक ने एमडीआर टीबी के निदान और उसकी विभिन्न जांच प्रक्रियाओं पर जानकारी दी।
• डॉ. शहजाद अनवर (टीबी और चेस्ट डिजीज विभाग) ने एमडीआर टीबी के उपचार पर चर्चा की और बताया कि बीपीएएलएम (BPaLM) उपचार विधि अब नई चिकित्सा प्रणाली में शामिल की गई है, जिससे मरीजों को अधिक प्रभावी इलाज मिल सकेगा।
• डॉ. नफीस खान ने एमडीआर टीबी दवाओं के दुष्प्रभाव और उनके प्रबंधन के तरीकों पर प्रकाश डाला।
इस कार्यक्रम ने टीबी उन्मूलन की दिशा में एक ठोस कदम रखा, जहां विशेषज्ञों और स्वास्थ्यकर्मियों ने नई चिकित्सा पद्धतियों, निदान और उपचार के तरीकों पर विचार-विमर्श किया। टीबी और एमडीआर टीबी से निपटने के लिए सामूहिक भागीदारी और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता पर जोर दिया गया। यह अभियान आने वाले दिनों में टीबी उन्मूलन की राह को और सुदृढ़ करने में सहायक सिद्ध होगा।