हिन्दुस्तान मिरर: प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 के दौरान, 90 के दशक की प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने संन्यास ग्रहण कर किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर की पदवी प्राप्त की थी। उनका नया नाम ‘श्रीयामाई ममता नंद गिरि’ रखा गया था। हालांकि, इस नियुक्ति के तुरंत बाद ही विवाद उत्पन्न हो गया।
किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास ने ममता कुलकर्णी की नियुक्ति पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उनके खिलाफ देशद्रोह के आरोप हैं, ऐसे में उन्हें महामंडलेश्वर बनाना अनुचित है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि नियुक्ति प्रक्रिया का सही तरीके से पालन नहीं किया गया। इसके परिणामस्वरूप, ऋषि अजय दास ने ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर पद से हटाने और किन्नर अखाड़े से निष्कासित करने का निर्णय लिया। साथ ही, उन्होंने आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को भी उनके पद से मुक्त कर दिया। 
इस निर्णय के बाद, किन्नर अखाड़े में आंतरिक कलह बढ़ गई है। लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ऋषि अजय दास के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें पहले ही अखाड़े से निष्कासित किया जा चुका है, इसलिए उनके निर्णय का कोई महत्व नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि ऋषि अजय दास के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। 
इस विवाद के बीच, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर को अखाड़े से निकालने की बात गलत है। उन्होंने सवाल उठाया कि ऋषि अजय दास कौन हैं, जो इस तरह का निर्णय ले रहे हैं। 
इस घटनाक्रम ने किन्नर अखाड़े के भीतर गुटबाजी को उजागर किया है, जहां एक ओर ऋषि अजय दास हैं, तो दूसरी ओर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का गुट। अब देखना होगा कि इस विवाद का समाधान कैसे होता है और किन्नर अखाड़े का नेतृत्व किसके हाथ में रहेगा।
इस बीच, ममता कुलकर्णी ने कहा था कि उन्होंने 22-23 साल तपस्या की है और मानव कल्याण के लिए संन्यास लिया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अब वे बॉलीवुड में वापस नहीं जाएंगी और सनातन धर्म का प्रचार करेंगी।