जिला मजिस्ट्रेट ने एसीएम द्वितीय को जांच अधिकारी किया नामित
हिन्दुस्तान मिरर: अलीगढ़, 02 फरवरी 2025: अलीगढ़ जिला कारागार में विचाराधीन बंदी लड्डू उर्फ लड्डन की मृत्यु के मामले में मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए गए हैं। जिला मजिस्ट्रेट संजीव रंजन ने इस प्रकरण की जांच के लिए अपर नगर मजिस्ट्रेट (एसीएम) द्वितीय संजय मिश्रा को जांच अधिकारी नामित किया है।
बंदी की तबीयत अचानक बिगड़ी, इलाज के दौरान हुई मौत
अपर जिला मजिस्ट्रेट (नगर) अमित कुमार भट्ट ने जानकारी देते हुए बताया कि लड्डू उर्फ लड्डन, पुत्र महेंद्र सिंह, उम्र लगभग 60 वर्ष, निवासी ग्राम नगला उदिया, थाना दादों, अलीगढ़ जिला कारागार में बंद थे। 22 नवंबर 2024 की सुबह लगभग 07:55 बजे उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। उन्हें बैरक में ही घबराहट, बेचैनी और उल्टी की शिकायत हुई, जिसके बाद वह बेहोश हो गए।
उन्हें तत्काल कारागार चिकित्सालय लाया गया, जहां ड्यूटी पर तैनात चिकित्साधिकारी ने उनकी गंभीर हालत को देखते हुए जीवन रक्षक उपचार उपलब्ध कराया। उनकी स्थिति में कोई सुधार न होने पर उन्हें सुबह 08:20 बजे जे.एन. मेडिकल कॉलेज, अलीगढ़ रेफर किया गया। हालांकि, वहां उपचार के दौरान 22 नवंबर 2024 को प्रातः 09:15 बजे उनकी मृत्यु हो गई।
वरिष्ठ जेल अधीक्षक के अनुरोध पर हुई जांच के आदेश
बंदी की मृत्यु के बाद वरिष्ठ जेल अधीक्षक द्वारा जिला प्रशासन को सूचित किया गया और मजिस्ट्रियल जांच की सिफारिश की गई। इसी क्रम में जिला मजिस्ट्रेट ने इस मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए एसीएम द्वितीय संजय मिश्रा को जांच अधिकारी नियुक्त किया है।
परिजनों ने जताई संदेह की आशंका
बंदी लड्डू उर्फ लड्डन के परिजनों ने इस घटना को लेकर संदेह जताया है और निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि जेल प्रशासन की लापरवाही के कारण उनकी मौत हुई है। हालांकि, अभी तक इस मामले में किसी भी अधिकारी या कर्मचारी पर कोई आरोप साबित नहीं हुआ है।
जांच रिपोर्ट के बाद होगा आगे का फैसला
मजिस्ट्रियल जांच के तहत यह पता लगाया जाएगा कि बंदी की मृत्यु स्वाभाविक थी या इसमें किसी तरह की लापरवाही या साजिश शामिल थी। जांच अधिकारी संजय मिश्रा जल्द ही इस मामले में संबंधित अधिकारियों, जेल कर्मियों और चिकित्सकों से पूछताछ कर अपनी रिपोर्ट तैयार करेंगे। रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
जेल प्रशासन की प्रतिक्रिया
जेल प्रशासन ने इस मामले में किसी भी प्रकार की लापरवाही से इनकार किया है। वरिष्ठ जेल अधीक्षक के अनुसार, बंदी की तबीयत बिगड़ने के बाद तत्काल चिकित्सकीय सहायता दी गई थी और सभी आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई गई थीं।
क्या कहते हैं कानून विशेषज्ञ?
कानूनी जानकारों के मुताबिक, जेल में किसी बंदी की असामान्य मृत्यु पर मजिस्ट्रियल जांच अनिवार्य होती है। यदि जांच में किसी भी प्रकार की लापरवाही या अमानवीय व्यवहार सामने आता है, तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
आगे की कार्रवाई पर टिकी निगाहें
अब सभी की निगाहें मजिस्ट्रियल जांच की रिपोर्ट पर टिकी हैं। यदि जांच में कोई लापरवाही सामने आती है, तो जेल प्रशासन पर सख्त कार्रवाई हो सकती है। वहीं, परिजनों को भी उम्मीद है कि उन्हें इस मामले में न्याय मिलेगा।