हिन्दुस्तान मिरर: अलीगढ़, 22 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग द्वारा मोबाइल एडिक्शन पर दो दिवसीय कार्यशाला और प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों में मोबाइल फोन पर निर्भरता की बढ़ती समस्या के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसे नियंत्रित करने के लिए उपयोगी सुझाव प्रदान करना है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एएमयू के पूर्व कार्यवाहक कुलपति प्रो. मोहम्मद गुलरेज ने अपने संबोधन में शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए छात्रों को रचनात्मक विकसित करने की सलाह दी, ताकि उनका व्यक्तिगत विकास हो सके। उन्होंने सोशल मीडिया के प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मोबाइल का संतुलित उपयोग आवश्यक है और खुली चर्चाओं को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जीवन में संतुलन बनाए रखना और सार्थक लक्ष्यों को तय करना, व्यक्ति की वास्तविक क्षमता को पहचानने की कुंजी है।
मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष, प्रो. शाह आलम ने भारत में युवाओं के बीच सोशल मीडिया के बढ़ते उपयोग पर आंकड़े प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि दुनिया भर में लगभग 400 मिलियन लोग सक्रिय रूप से मोबाइल फोन का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने मोबाइल एडिक्शन के कारण सामाजिक और व्यक्तिगत संबंधों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को रेखांकित किया और ‘नोमोफोबिया’ यानी मोबाइल फोन के बिना रहने के डर की अवधारणा को समझाया। इसके अलावा, उन्होंने साइबरबुलिंग और ऑनलाइन धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों पर भी चिंता व्यक्त की, जो मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा हैं।
कार्यक्रम की सह-आयोजक और समरस फाउंडेशन की संस्थापक, कंचन गौड़ ने डिजिटल युग में युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर प्रकाश डाला। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य सहायता से जुड़े सामाजिक कलंक और स्क्रीन टाइम के बढ़ते दुष्प्रभावों पर चर्चा की। उन्होंने वास्तविक जीवन के उदाहरणों के माध्यम से मोबाइल एडिक्शन के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले गंभीर प्रभावों को स्पष्ट किया। उन्होंने छात्रों को स्क्रीन टाइम कम करने और अपने जीवन में लक्ष्य निर्धारण करने की सलाह दी।
कार्यशाला में एक गाइडेड इमेजरी मेडिटेशन सत्र भी आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य छात्रों को रोजमर्रा के तनाव से राहत देना था। कार्यशाला के दूसरे भाग में आत्म-विश्लेषण गतिविधियों के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने और छात्रों को अपनी भावनाओं को बेहतर ढंग से समझने और प्रबंधित करने के तरीके सिखाए गए।
इस कार्यक्रम का संचालन सोसायटी की संयुक्त सचिव, इल्मा फातिमा ने किया, जबकि सोसायटी की सदस्य, अमीना खानम ने प्रो. शाह आलम और कंचन गौड़ को स्मृति चिह्न भेंट किए। कार्यक्रम के अंत में सोसायटी की सचिव, अदीना सुहैल ने धन्यवाद ज्ञापित किया।