हिन्दुस्तान मिरर: अलीगढ़, 22 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), नई दिल्ली के सहयोग से ष्मानवाधिकार पर जागरूकता का विकासरू भविष्य के नेताओं के लिए कार्यशालाष् विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला-सह-प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) और एएमयू के पूर्व छात्र, अंशुमान यादव (आईपीएस) ने कहा कि बहुसंख्यकवाद और त्वरित न्याय के तरीके, जिनमें फर्जी मुठभेड़ भी शामिल हैं, आपराधिक न्याय प्रणाली और लोकतांत्रिक संस्थाओं की विश्वसनीयता को कमजोर करते हैं।
श्री यादव ने कहा कि मानवाधिकार मूल रूप से समाज के सबसे वंचित वर्गों के प्रति सहानुभूति और मानवीय व्यवहार से जुड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि ष्हमारे समाज में पितृसत्ता जैसी कुछ प्रथाएं गहराई से जमी हुई हैं, जो मानवाधिकार उल्लंघनों का कारण बनती हैं। समाज अक्सर अपराधियों को महिमामंडित करता है, अपराधियों पर आधारित फिल्में लोकप्रिय होती हैं, और आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोग हमारे प्रतिनिधि बनते हैं। ऐसी प्रवृत्तियाँ न्याय और संवैधानिक मूल्यों के प्रति उपेक्षा को जन्म देती हैं।ष्
अपने अनुभव साझा करते हुए, उन्होंने नागरिकों से अत्याचार और अन्याय के खिलाफ याचिका दायर करने और विरोध दर्ज कराने की अपील की, ताकि प्रशासन अपनी गलतियों को पहचानकर उन्हें सुधार सके। उन्होंने यह भी बताया कि पुलिस अधिकारियों को कई बार गंभीर नैतिक दुविधाओं का सामना करना पड़ता है और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए एएमयू की कुलपति, प्रो. नईमा खातून ने कहा कि ष्हर व्यक्ति को सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार है और शिक्षक या अधिकारी के रूप में हमारा आचरण कभी भी हमारे अधीनस्थों के लिए अपमानजनक नहीं होना चाहिए।ष् उन्होंने समाज में व्याप्त पितृसत्ता को मानवाधिकारों और लैंगिक समानता के उल्लंघन का एक प्रमुख कारण बताया और कहा कि हमें ऐसे आचरण के प्रति सतर्क रहना चाहिए। कुलपति ने शिक्षण संस्थान में भाषाई गरिमा तथा एक दूसरे को सम्मान देने पर जोर दिया।
उन्होंने विभाग को एक महत्वपूर्ण विषय पर कार्यशाला आयोजित करने और विशेषज्ञों को आमंत्रित करने के लिए बधाई दी।
इससे पूर्व, कार्यक्रम के स्वागत भाषण में राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष, प्रो. एम. नफीस अहमद अंसारी ने मुख्य अतिथि अंशुमान यादव का परिचय कराया। उन्होंने कार्यशाला के विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि ष्मानवाधिकार आधुनिक राज्य के संवैधानिक ढांचे का आधार हैं। जब तक लोग अपने अधिकारों को नहीं जानेंगे, वे न तो उनकी रक्षा कर सकते हैं और न ही उनके उल्लंघन होने पर न्याय की मांग कर सकते हैं।ष्
उन्होंने विभिन्न धर्मों के मूल सिद्धांतों का हवाला देते हुए सभी मानव जाति की सेवा और सहानुभूति के महत्व को समझाया। साथ ही, उन्होंने एनएचआरसी के साथ विभाग की दो दशक पुरानी साझेदारी के प्रति आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम का संचालन कार्यशाला की संयोजक, डॉ. नगमा फारूकी ने किया और कार्यशाला की थीम पर प्रकाश डाला, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. आयशा इम्तियाज ने किया।