हिन्दुस्तान मिरर: अलीगढ़, 28 फरवरीः हाल ही में भारत और तुर्की के विशेषज्ञों और विद्वानों ने अंकारा में दो दिवसीय सम्मेलन में शिरकत की। इसे फाउंडेशन फॉर पॉलिटिकल, इकोनॉमिक एंड सोशल रिसर्च और इंटरनेशनल डायलॉग एंड डिप्लोमेसी फाउंडेशन नई दिल्ली द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया था। इस पहल का उद्देश्य वैश्विक और क्षेत्रीय परिवर्तनों के बीच कूटनीतिक और रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा देना है।
सम्मेलन में भारतीय वक्ताओं में प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज, जो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के पूर्व उपकुलपति, पश्चिम एशियाई (मध्य-पूर्व) और उत्तरी अफ्रीकी अध्ययन विभाग के प्रसिद्ध विद्वान और कांफ्लिक्ट रेजोल्यूशन एंड पीस स्टडीज प्रोग्राम के समन्वयक हैं। प्रोफेसर गुलरेज ने कहा कि अकादमिक क्षेत्र कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रतिष्ठित विद्वानों, राजनयिकों और नीति विशेषज्ञों की योगदान से सम्मेलन ने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा, शासन, आर्थिक सहयोग और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व पर विचार-विमर्श को प्रोत्साहित किया।
इस कार्यक्रम में प्रमुख भारतीय विशेषज्ञों के रूप में प्रोफेसर आफताब कमल पट्टा, सी. राजा मोहन, राजदूत अनिल त्रिगुणायत और प्रमुख थिंक टैंक्स जैसे ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन और इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स के प्रतिनिधि शामिल थे। इनका तुर्की समकक्षों के साथ संवाद ने वैश्विक व्यवस्था में भारत-तुर्की संबंधों को मजबूत करने का प्रयास किया।
मुख्य भाषण तुर्की के उप विदेश मंत्री राजदूत बेरिस एकिंसी और तुर्की में भारतीय राजदूत मुकतेश के. परदेशी द्वारा दिया गया, और अंकारा में भारतीय दूतावास ने इस कार्यक्रम का आधिकारिक साझेदार के रूप में कार्य किया।
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में द्विपक्षीय व्यापार ने प्रगति की है, जो 2014 में 6 अरब डॉलर से बढ़कर 2023 में 14 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जो आर्थिक समन्वय और प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, यूएनएससी सुधारों और जलवायु परिवर्तन में गहरे सहयोग की संभावना को दर्शाता है।
प्रोफेसर गुलरेज की सहभागिता ने एएमयू की वैश्विक अकादमिक पहुंच और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में इसके महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित किया।