कृषि विभाग द्वारा मण्डल के तकनीकी कर्मचारियों को आइपीएम तकनीकी और एनपीएसएस का दिया गया प्रशिक्षण

हिन्दुस्तान मिरर: अलीगढ़, 07 मार्च 2025: कृषि विभाग द्वारा शुक्रवार को अलीगढ़ मंडल के चार जिलों – अलीगढ़, कासगंज, एटा एवं हाथरस के तकनीकी कर्मचारियों को एक महत्वपूर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन कृषि कल्याण केंद्र, अलीगढ़ में किया गया, जिसमें प्रमुख रूप से आइपीएम (Integrated Pest Management – IPM) तकनीकी और एनपीएसएस (National Pest Surveillance System – NPSS) के विषय पर विस्तृत जानकारी प्रदान की गई।

इस प्रशिक्षण का उद्घाटन उप कृषि निदेशक (कृषि रक्षा) अलीगढ़ मंडल, अलीगढ़ की अध्यक्षता में हुआ। इस कार्यक्रम में सीआईपीएमसी आगरा से आए पीपीओ ओम प्रकाश चौधरी और कृषि रक्षा अधिकारी अमित जायसवाल ने कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को नवीनतम कृषि रक्षा तकनीकों, कीट प्रबंधन विधियों और राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली की उपयोगिता के बारे में विस्तार से बताया।

एनपीएसएस का महत्व

जिला कृषि रक्षा अधिकारी अमित जायसवाल ने एनपीएसएस की महत्ता को रेखांकित करते हुए बताया कि यह प्रणाली कृषि क्षेत्र में फसल सुरक्षा, पर्यावरणीय संतुलन और खाद्य सुरक्षा को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि इस प्रणाली के माध्यम से किसानों को समय पर फसल संरक्षण संबंधी जानकारी मिलती है, जिससे वे उचित कदम उठाकर फसल उत्पादन को सुरक्षित बना सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप कृषि क्षेत्र में स्थिरता और उत्पादकता में वृद्धि होती है।

ग्रो सेफ फ़ूड अभियान

इस अवसर पर कृषि विभाग द्वारा संचालित “ग्रो सेफ फ़ूड” अभियान के तहत सभी कृषि रक्षा प्राविधिक सहायकों को क्षेत्रीय कीटनाशक प्रतिष्ठानों पर पोस्टर लगाने के लिए वितरित किए गए। इस अभियान का उद्देश्य किसानों और कृषि कर्मियों को सुरक्षित एवं जैविक खेती के प्रति जागरूक करना है।

प्रशिक्षण का उद्देश्य

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य तकनीकी कर्मचारियों को उन्नत कीट प्रबंधन तकनीकों से अवगत कराना, उन्हें एनपीएसएस के प्रभावी उपयोग के लिए प्रशिक्षित करना और किसानों तक सही जानकारी पहुँचाने की उनकी क्षमता को विकसित करना था।

कृषि विभाग द्वारा आयोजित यह प्रशिक्षण कार्यक्रम क्षेत्रीय कृषि उत्पादन को सुरक्षित एवं प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। इससे किसानों को उनकी फसल सुरक्षा में मदद मिलेगी और कीटनाशकों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा मिलेगा।

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