145 वर्ष की हुई अलीगढ़ की नुमाइश। इस बार, 1 से 28 फ़रवरी तक प्रस्तावित

अलीगढ़ की प्रसिद्ध नुमाइश (औद्योगिक एवं कृषि प्रदर्शनी) की तैयारियाँ शुरू हो चुकी हैं। यह आयोजन हर साल बड़ी धूमधाम से किया जाता है और इस बार यह 1 फरवरी से 28 फरवरी 2025 तक चलेगी।

यह नुमाइश अलीगढ़ का एक सांस्कृतिक और व्यापारिक उत्सव है, जहाँ विभिन्न प्रकार के उत्पादों, जैसे हस्तशिल्प, कपड़े, फर्नीचर, कृषि उपकरण, और खानपान के स्टॉल लगाए जाते हैं। साथ ही, इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम, झूले, और मनोरंजन के अन्य साधन भी होते हैं।

अलीगढ़ नुमाइश का इतिहास न केवल स्वर्णिम है, बल्कि इसका एक गहरा सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भी है। इसकी शुरुआत 1880 में हुई थी, जब इसे अलीगढ़ डिस्ट्रिक्ट फेयर के नाम से एक अश्व प्रदर्शनी के रूप में आयोजित किया गया था। इसे शुरू करने की प्रेरणा राजा हरनारायण सिंह से मिली थी और उस समय के कलेक्टर मार्शल ने इसे आयोजित किया था।

1886 में, इस प्रदर्शनी में प्रशिक्षण और शैक्षिक गतिविधियों को शामिल किए जाने के बाद इसका नाम बदलकर राजकीय औद्योगिक एवं कृषि प्रदर्शनी कर दिया गया।

1914 में, तत्कालीन कलेक्टर डब्ल्यूएस मैरिस ने इसे और अधिक संगठित रूप देने के लिए दरबार हाल का निर्माण करवाया। यह प्रदर्शनी धीरे-धीरे केवल व्यापारिक गतिविधियों तक सीमित न रहकर शैक्षिक, सांस्कृतिक और सामाजिक क्षेत्रों में भी अपनी पहचान बनाने लगी।

1998 में, तत्कालीन जिला अधिकारी श्रीकृष्ण सिंह अटोरिया के कार्यकाल में इसे एक चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत किया गया। इसके बाद यह संस्था आम व्यक्तियों के सहयोग से संचालित होने लगी, जो इसे एक जनसमुदाय से जुड़ी संस्था बनाता है।

आज, यह नुमाइश न केवल अलीगढ़ बल्कि पूरे उत्तर भारत में अपनी खास पहचान बना चुकी है। यह प्रदर्शनी इतिहास, परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत संगम है, जहाँ हर वर्ष लाखों लोग आते हैं और इसका आनंद लेते हैं।

Photo : हिंदुस्तान मिरर

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