हिन्दुस्तान मिरर :अलीगढ़, 21 जनवरी:
आलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के थ्योलॉजी विभाग की वार्षिक मैगजीन ‘दरासाते दीनिया’ के विशेष डीन अंक का विमोचन विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून ने किया। इस विशेष मौके पर मैगजीन के संपादक प्रोफेसर तौकीर आलम फलाही, सह-संपादक डॉ. मोहम्मद सुहैल और डॉ. हबीबुर्रहमान भी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर कुलपति ने मैगजीन से जुड़े सभी लेखकों और संपादकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह मैगजीन थ्योलॉजी विभाग और एएमयू के इतिहास में एक नई उपलब्धि है। डीन अंक का प्रकाशन एक अनूठा प्रयास है, जिसमें थ्योलॉजी विभाग के सभी डीन की सेवाओं और जीवनी का उल्लेख किया गया है। इस विशेष अंक में सभी लेखों का सारांश अंग्रेजी भाषा में भी प्रस्तुत किया गया है।
डीन अंक का महत्व
थ्योलॉजी विभाग के डीन प्रो. तौकीर आलम फलाही ने बताया कि यह विभाग लगभग 100 वर्षों से शैक्षिक और धार्मिक सेवाएँ प्रदान कर रहा है, लेकिन इसका व्यवस्थित इतिहास अब तक नहीं लिखा गया था। डीन अंक के प्रकाशन से यह कमी पूरी हुई है। इस अंक में विभाग के पहले डीन से लेकर वर्तमान डीन तक की सेवाओं को समाहित किया गया है।
प्रो. फलाही ने इस अंक को तैयार करने में संपादकीय बोर्ड के योगदान को सराहा। उन्होंने कहा कि यह डीन अंक अन्य विभागों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण बन सकता है।
विमोचन समारोह की झलक
इस कार्यक्रम में मैगजीन के एक प्रमुख लेखक डॉ. मुजतबा सिदीकी ने कहा कि यह मैगजीन थ्योलॉजी विभाग के लिए एक ऐतिहासिक दस्तावेज है। उन्होंने इसे विभाग की शैक्षिक और धार्मिक यात्रा को संरक्षित करने का प्रयास बताया।
समारोह में विभाग के सुन्नी और शिया शाखाओं के शिक्षक भी उपस्थित रहे, जिनमें डॉ. हादी रजा, डॉ. मोहम्मद आसिम, और डॉ. मोहम्मद नासिर प्रमुख थे।
अनुकरणीय उदाहरण
कुलपति ने इस डीन अंक को एएमयू के अन्य विभागों के लिए अनुकरणीय बताते हुए कहा कि यह विभाग की समृद्ध परंपराओं और उपलब्धियों को संरक्षित करने का एक उत्कृष्ट प्रयास है।
‘दरासाते दीनिया’ के इस विशेष अंक ने थ्योलॉजी विभाग के इतिहास को संरक्षित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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