अलीगढ़ में बांग्लादेशी दंपत्ति की गिरफ्तारी:12 साल धता बताते रहे सरकारी तंत्र को

अलीगढ़ में यूपी एटीएस ने एक बांग्लादेशी दंपत्ति सिराज और हलीमा को गिरफ्तार कर बड़ा खुलासा किया है। इन दोनों ने न केवल 12 वर्षों तक भारत में अवैध रूप से रहकर अपनी पहचान छिपाए रखी, बल्कि भारतीय नागरिकता साबित करने वाले फर्जी दस्तावेज़ भी बनवा लिए। यह मामला भारतीय सरकारी तंत्र और सुरक्षा एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।

कैसे बनाए गए फर्जी दस्तावेज़

सिराज और हलीमा ने विभिन्न सरकारी विभागों को गुमराह कर वोटर आईडी, आधार कार्ड, पैन कार्ड, जन्म प्रमाणपत्र, आय प्रमाणपत्र और यहां तक कि पासपोर्ट भी बनवा लिया।

1. जन्म प्रमाणपत्र: अलीगढ़ नगर निगम से फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनवाकर दोनों ने अपने जन्म स्थान को अलीगढ़ दर्शाया।

2. पुलिस सत्यापन में लापरवाही: पासपोर्ट और अन्य दस्तावेज़ों के लिए जरूरी पुलिस सत्यापन और लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (एलआईयू) की रिपोर्ट भी तैयार की गई, लेकिन किसी ने उनकी असल पहचान पर सवाल नहीं उठाया।

3. पासपोर्ट: सिराज ने 2016 में पासपोर्ट बनवाया, जबकि उसकी पत्नी हलीमा का पासपोर्ट 2022 में बना। इन दस्तावेजों के आधार पर वे यूरोपियन देश ग्रीस जाने की योजना बना रहे थे।

कैसे पकड़े गए दोनों आरोपी

यूपी एटीएस को गुप्त सूचना मिली थी कि कुछ संदिग्ध लोग फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारतीय नागरिकता हासिल कर अलीगढ़ में रह रहे हैं। जांच के दौरान सिराज और हलीमा की पहचान उजागर हुई। उनके पास से सभी फर्जी दस्तावेज़ बरामद किए गए।

प्रशासनिक तंत्र पर सवाल

इस घटना ने सरकारी तंत्र और दस्तावेज़ प्रणाली की खामियों को उजागर कर दिया है।

नगर निगम की लापरवाही: जन्म प्रमाणपत्र जारी करते समय न तो कोई सटीक जांच की गई और न ही दस्तावेज़ों की वैधता की पुष्टि की गई।

पुलिस और एलआईयू की लापरवाही: इन एजेंसियों ने सत्यापन के दौरान गहन जांच नहीं की, जिससे आरोपी इतने सालों तक बिना पकड़े रह सके।

सिराज और हलीमा की रणनीति

सिराज और हलीमा ने खुद को अलीगढ़ का मूल निवासी दर्शाकर भारतीय नागरिकता का दावा किया। उनके पास जो दस्तावेज़ बरामद हुए हैं, वे इतने प्रामाणिक तरीके से तैयार किए गए थे कि उन पर किसी ने संदेह नहीं किया।

आगे की कार्रवाई

यूपी एटीएस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की गहन जांच की जा रही है। यह भी जांचा जा रहा है कि इन दोनों ने अन्य किन सरकारी विभागों को गुमराह किया और क्या इनके साथ कोई और लोग भी इस तरह की गतिविधियों में शामिल हैं।

सरकारी तंत्र की जिम्मेदारी

यह मामला प्रशासनिक लापरवाही का एक बड़ा उदाहरण है।

• दस्तावेज़ सत्यापन प्रक्रिया को मजबूत करने की जरूरत है।

• नगर निगम और अन्य सरकारी विभागों में फर्जीवाड़े को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने होंगे।

• सुरक्षा एजेंसियों को सतर्कता बरतने और ऐसे मामलों पर कड़ी निगरानी रखने की आवश्यकता है।

सिराज और हलीमा की गिरफ्तारी ने दिखाया है कि कैसे लचर तंत्र का फायदा उठाकर विदेशी नागरिक भारतीय पहचान हासिल कर सकते हैं। यह घटना न केवल प्रशासन के लिए चेतावनी है, बल्कि देश की सुरक्षा व्यवस्था के लिए भी एक बड़ा सबक है। अब जरूरत है कि ऐसे मामलों को रोकने के लिए सख्त कानून और प्रभावी निगरानी तंत्र लागू किए जाएं।

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