आज, राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादों, जोरावर सिंह जी और फतेह सिंह जी के बलिदान दिवस (वीर बाल दिवस) के अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के ज़िलाध्यक्ष चौ कृष्णपाल सिंह लाला ने श्रद्धांजलि अर्पित। यह दिन हर साल 26 दिसंबर को मनाया जाता है, जब इन वीर बालकों ने धर्म और मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया था।
चौ कृष्णपाल सिंह ने कहा कि साहिबजादे जोरावर सिंह (9 वर्ष) और फतेह सिंह (7 वर्ष) की वीरता और साहस को सशरीर युद्ध और कड़ी यातनाओं के बावजूद कभी भी कमजोर नहीं किया। जब मुग़ल शासक, औरंगजेब के आदेश पर इन दोनों साहिबजादों को बंदी बना लिया गया था, तब उन्हें अत्याचार सहते हुए भी धर्म और सत्य के मार्ग से हटने का कोई प्रयास नहीं किया। गुरु जी के दोनों साहिबजादे अपने परिवार के उच्च आदर्शों और नैतिक मूल्यों से प्रेरित थे, और उनका दृढ़ संकल्प था कि वे कभी भी अपने धर्म और गुरु की रक्षा से पीछे नहीं हटेंगे।
इस दिन, गुरुद्वारे में श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए सैकड़ों श्रद्धालु एकत्र हुए। कार्यकर्ताओं ने गुरुद्वारे में जाकर माथा टेका और साहिबजादों के बलिदान को याद करते हुए उनके आदर्शों का पालन करने का संकल्प लिया। कार्यक्रम में प्रमुख धर्मगुरुओं ने गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादों की वीरता के बारे में विशेष रूप से बताया और उनके बलिदान को सराहा।
धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से श्रद्धालुओं को यह संदेश दिया गया कि साहिबजादों की तरह हमें भी अपने धर्म, अपने देश और अपने आदर्शों की रक्षा के लिए हर परिस्थिति में दृढ़ नायक बने रहना चाहिए। इस मौके पर विशेष कीर्तन, शबद कीर्तन और गुरु के वचनों पर चर्चा आयोजित की गई, जिसमें श्रद्धालुओं ने गुरु की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लिया।
गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादों की अडिगता और साहस का यह दिन हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके बलिदान के बिना हमारे समाज और राष्ट्र की धार्मिक और सांस्कृतिक धारा को बनाए रखना संभव नहीं था। वीर बाल दिवस को श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाते हुए, यह संकल्प लिया गया कि उनके अद्भुत साहस और समर्पण को हमेशा याद रखा जाएगा और उनकी प्रेरणा से राष्ट्र की सेवा की दिशा में निरंतर प्रयास किया जाएगा।
वीर बाल दिवस ने हमें यह सिखाया है कि धर्म की रक्षा और न्याय की स्थापना के लिए किसी भी बलिदान से पीछे नहीं हटना चाहिए, चाहे वह कितनी भी कठिन परिस्थिति क्यों न हो। साहिबजादों के अद्भुत साहस को देखकर यह समझा जा सकता है कि युवा पीढ़ी के लिए उनके बलिदान आज भी एक महान प्रेरणा है।