जांच में फेल हुए दवाओं के नमूने
अलीगढ़ में छह अलग-अलग राज्यों की दवा कंपनियों के खिलाफ यूपी ड्रग एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। इन कंपनियों के दवाओं के नमूने जांच में फेल पाए गए, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकते थे। अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई सरकारी अस्पतालों और जिले के मेडिकल स्टोर्स में बिकने वाली दवाओं की गुणवत्ता की नियमित जांच के दौरान की गई।
जांच में शामिल दवाइयों के नाम
ड्रग इंस्पेक्टर दीपक लोधी के नेतृत्व में दवाइयों के सैंपल लिए गए थे। जांच में जिन दवाओं के नमूने फेल हुए, उनमें शामिल हैं:
• हैग्जिन (एंटी बॉयोटिक)
• कैल्शियम विटामिन टैबलेट
• पेंटालाइन इंजेक्शन (गैस के लिए)
• एसबी नेट (सोडियम कार्बोनेट)
• पेंटो एक्सडीआर
• एक्सो वॉयल (एंटी बॉयोटिक)
इन कंपनियों पर दर्ज हुआ मुकदमा
जिन कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, वे निम्नलिखित हैं:
1. एक्सल लैब, वड़ोदरा (गुजरात)
2. जी लेब्रोटरीज, पोटा (हिमाचल प्रदेश)
3. रिवपसरा फार्मा, हरिद्वार (उत्तराखंड)
4. मकेन रेमेडीज, मोंगा (पंजाब)
5. कैश्ड लेब्रोटरीज, धार (मध्य प्रदेश)
6. एवरटच बायोरेमेडीज, कोसी (मथुरा, उत्तर प्रदेश)
दवाइयों के सैंपल फेल होने पर कार्रवाई
ड्रग इंस्पेक्टर दीपक लोधी ने बताया कि यूपी ड्रग एक्ट की धारा 18 से 27 के तहत समय-समय पर दवाइयों के नमूने लेकर उनकी जांच की जाती है। बीते दिनों विभाग ने 13 कंपनियों के नमूने जांच के लिए भेजे थे, जिनमें से ये फेल हो गए।
सजा का प्रावधान
जांच के बाद एडीजे कोर्ट में इन कंपनियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। अधिकारियों ने बताया कि अगर अदालत में आरोप सिद्ध होते हैं, तो दोषियों को पांच साल तक की सजा हो सकती है।
स्वास्थ्य विभाग की सतर्कता
स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि दवाओं की गुणवत्ता को लेकर विभाग सतर्क है। इस तरह की कार्रवाई यह सुनिश्चित करती है कि बाजार में उपलब्ध दवाइयां जनता के स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित हों। विभाग का कहना है कि भविष्य में भी नियमित जांच की जाएगी।
यह मामला आम जनता के स्वास्थ्य सुरक्षा के प्रति प्रशासन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। दवा कंपनियों की जवाबदेही तय करने और मानकों के पालन को सुनिश्चित करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
रिपोर्ट: हिन्दुस्तान मिरर