सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की पहल से मूक-बधिर महिला को मिला परिवार

हिन्दुस्तान मिरर: अलीगढ़, 04 मार्च 2025 – जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अलीगढ़ की सार्थक पहल से एक मूक-बधिर महिला को चार वर्षों बाद अपना परिवार मिल गया। इस मानवीय प्रयास के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और जिला न्यायालय अलीगढ़ की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

शरणालय निरीक्षण और महिला की पहचान माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार, जिला न्यायाधीश के आदेश पर गठित नारी आश्रय गृह समिति एवं सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रत्येक माह मथुरा स्थित राजकीय महिला शरणालय गृह, नारी निकेतन का निरीक्षण किया जाता है। इसी निरीक्षण के दौरान अलीगढ़ की मूक-बधिर महिला “निर्माता देवी” की पहचान की गई, जो 12 अक्टूबर 2020 से वहां रह रही थीं।

महिला के परिजनों की खोज के लिए जिला प्रोबेशन अधिकारी मथुरा को आदेश दिया गया कि उनकी तस्वीर और दोनों हाथों पर गुदे नामों को समाचार पत्रों में प्रकाशित किया जाए। 22 सितंबर 2024 को दैनिक जागरण के मथुरा अंक में यह सूचना प्रकाशित की गई। इसके बावजूद जब परिजनों का कोई पता नहीं चला, तो सभी समाचार पत्रों में पुनः प्रकाशन के निर्देश दिए गए।

न्यायालय व पुलिस प्रशासन का प्रयास 15 जनवरी 2025 को जिला न्यायालय अलीगढ़ में आयोजित यूटीआरसी बैठक में पुलिस अधीक्षक (अपराध) ममता कुरील को निर्देशित किया गया कि वे परिजनों की खोज के लिए आवश्यक कार्रवाई करें। इसके बाद पुलिस प्रशासन सक्रिय हुआ और 21 फरवरी को सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नितिन श्रीवास्तव, नारी आश्रय गृह समिति की अध्यक्षा पारूल अत्री तथा अन्य अधिकारियों ने मथुरा स्थित नारी निकेतन का निरीक्षण किया।

उसी दिन, जिला विकलांग अधिकारी अलीगढ़ रोहित सिन्हा से अनुरोध किया गया कि वे किसी मूक-बधिर विशेषज्ञ को भेजें, ताकि महिला के इशारों को समझकर उसके मूल स्थान का पता लगाया जा सके। पुलिस प्रशासन की तत्परता से एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के उपनिरीक्षक उदयभान सिंह और कांस्टेबल मुकेश सोलंकी ने महिला के दोनों हाथों पर गुदे नामों—पी.एन. ओझा, ब्रह्मा, असहनी—को देखकर उसके गांव की पहचान की। वीडियो कॉल के माध्यम से महिला के भाई तारकेश्वर ओझा से पहचान कराई गई।

परिवार को सौंपने की प्रक्रिया महिला की पहचान होने के बाद अपर नगर मजिस्ट्रेट द्वितीय संजय मिश्रा ने 27 फरवरी को उसे परिजनों को सौंपने का आदेश जारी किया। 03 मार्च को नारी आश्रय गृह समिति की अध्यक्षा पारूल अत्री, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नितिन श्रीवास्तव, अपर सिविल जज (जूनियर डिवीजन) सुश्री शुभ्रा प्रकाश, एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग उपनिरीक्षक उदयभान सिंह और कांस्टेबल मुकेश सोलंकी की उपस्थिति में महिला को उसके बड़े भाई तारकेश्वर ओझा, भाभी आशा देवी और भतीजे को सौंप दिया गया।

सुपुर्दगी के समय भाई को निर्देश दिया गया कि वे अपनी मूक-बधिर बहन का पूरा ध्यान रखें। साथ ही, प्रभारी अधीक्षिका, राजकीय महिला शरणालय नारी निकेतन, मथुरा को भी आदेशित किया गया कि वे समय-समय पर महिला और उसके परिवार से संपर्क बनाकर उसका हालचाल लेते रहें।

मानवीय संवेदना का उदाहरण यह घटना जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, न्यायपालिका, पुलिस प्रशासन और सामाजिक संगठनों के समन्वित प्रयास का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह पहल न केवल मूक-बधिर महिला के पुनर्वास में सहायक सिद्ध हुई, बल्कि मानवता और सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी साबित हुई।

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