हिन्दुस्तान मिरर:अलीगढ़, 4 मार्चः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के यूजीसी-मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (एमएमटीटीसी) द्वारा शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में शिक्षकों के लिए एक सप्ताह का ऑफलाइन भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) क्षमता निर्माण (कैपेसिटी बिल्डिंग) कार्यक्रम शुरू किया गया है। यह कार्यक्रम 8 मार्च तक चलेगा, जिसका उद्देश्य पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक शिक्षा पद्धतियों के साथ जोड़ना है।
उद्घाटन सत्र के अवसर पर महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय, उज्जैन (म.प्र.) के कुलपति प्रो. मेनन विजयकुमार सी.जी., राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, अलीगढ़ (उ.प्र.) के कुलपति प्रो. एन.बी. सिंह, एएमयू के रजिस्ट्रार मोहम्मद इमरान और एएमयू के संस्कृत विभाग की अध्यक्ष प्रो. सारिका वाष्र्णेय उपस्थित रहे।
प्रो. मेनन विजयकुमार सी.जी. ने अपने मुख्य वक्तव्य में भारतीय ज्ञान प्रणाली के दार्शनिक दृष्टिकोण पर चर्चा की और संस्कृत व अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं के महत्व को समझाया। उन्होंने वेदों, पुराणों और महाकाव्यों के उदाहरण देते हुए बताया कि ये ग्रंथ आधुनिक शिक्षा के लिए कितने प्रासंगिक हैं।
प्रो. एन.बी. सिंह ने भारतीय ज्ञान प्रणाली की सांस्कृतिक जड़ों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणाली को केवल परंपरा के रूप में नहीं, बल्कि एक जीवन शैली के रूप में देखा जाना चाहिए, जो हमारे विचार और कार्यों को प्रभावित करती है।
प्रो. सारिका वाष्र्णेय ने एएमयू के संस्कृत विभाग के 1920 में स्थापना के बाद से किए गए योगदानों के बारे में बताया। उन्होंने इस विभाग की प्रमुख उपलब्धियों का उल्लेख किया, जिसमें दीवान-ए-गालिब का संस्कृत अनुवाद भी शामिल है। उन्होंने एएमयू की बहुसांस्कृतिक शोध परंपरा और अंतरविषयक अध्ययन की समृद्ध विरासत पर भी प्रकाश डाला।
रजिस्ट्रार मोहम्मद इमरान ने भारतीय ज्ञान प्रणाली के अंतःविषयक (इंटरडिसिप्लिनरी) पहलुओं को उजागर किया और आधुनिक प्रबंधन व तकनीकी साधनों का उपयोग करके इसे और व्यापक रूप से अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने विभिन्न शैक्षणिक विषयों के बीच सहयोग स्थापित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया, ताकि भारतीय बौद्धिक परंपराओं को गहराई से समझा जा सके।
स्वागत भाषण यूजीसी-एमएमटीटीसी की निदेशक डॉ. फायजा अब्बासी ने दिया। उन्होंने भारतीय ज्ञान प्रणाली के सिद्धांतों को आधुनिक पाठ्यक्रम विकास में शामिल करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि एमएमटीटीसी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत कई महत्वपूर्ण पहल की हैं।
इतिहास विभाग की डॉ. शिवांगनी टंडन, जो इस कार्यक्रम की समन्वयक हैं, ने सत्र का संचालन किया और धन्यवाद ज्ञापित किया।