हिन्दुस्तान मिरर: अलीगढ़ 22 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग द्वारा ‘आधुनिक ब्रिटिश गद्य और कथा साहित्य में नवीन प्रवृत्तियाँ’ विषय पर कला संकाय लॉन्ज में एक विश्वविद्यालय विस्तार व्याख्यान का आयोजन किया गया। यह व्याख्यान यूनाइटेड किंगडम के एक्सेटर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के मानद प्रोफेसर एवं सृजनात्मक लेखन विशेषज्ञ प्रोफेसर सैम नॉर्थ द्वारा प्रस्तुत किया गया।
अपने व्याख्यान में प्रोफेसर नॉर्थ ने समकालीन ब्रिटिश कथा साहित्य में विविधता, समावेशिता और नवाचार की प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह साहित्य अब किसी एक सांस्कृतिक दृष्टिकोण तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रवासी, हाशिए पर रहे तथा उपेक्षित समुदायों की आवाजों से समृद्ध हो रहा है। उन्होंने बर्नार्डिन एवेरिस्टो, कमिला शम्सी और कालेब अजुमा नेल्सन जैसे लेखकों के योगदान को रेखांकित करते हुए बताया कि समकालीन ब्रिटिश साहित्य अब केवल प्रतिनिधित्व तक सीमित नहीं है, बल्कि ब्रिटिश पहचान को वैश्विक परिप्रेक्ष्य में पुनःपरिभाषित करने का माध्यम बन रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि आधुनिक ब्रिटिश उपन्यास अब पारंपरिक सीमाओं से मुक्त होकर एक निरंतर संवाद का रूप ले चुका है, जो साहित्यिक नवाचार और सामाजिक चेतना को दर्शाता है।
कला संकाय की कार्यवाहक अधिष्ठाता प्रोफेसर समी अख्तर ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में इस व्याख्यान के आयोजन के लिए अंग्रेजी विभाग की सराहना की और इसे समकालीन साहित्यिक प्रवृत्तियों की गहन समझ विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताया। उन्होंने विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शाहिना तरन्नुम के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के विमर्श अकादमिक जगत में नवाचार और आलोचनात्मक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करते हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत में अंग्रेजी विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर शाहिना तरन्नुम ने अतिथि वक्त का स्वागत किया। उन्होंने विशेष रूप से विभाग की समृद्ध विरासत और समग्र रूप से विश्वविद्यालय की गौरवशाली परंपरा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि 1877 में सर सैयद अहमद खान के नेतृत्व में मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना भारतीय उपमहाद्वीप में अंग्रेजी शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। उनके पुत्र, न्यायमूर्ति सैयद महमूद ने भी इस विरासत को और आगे बढ़ाया।
अलीगढ़ में अंग्रेजी शिक्षा, 1875 में मदरसा-तुल-उलूम की स्थापना से लेकर 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के रूप में इसके विकास तक, सर सैयद की दृष्टि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनी रही। ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज के विद्वानों, जिनमें सर वॉल्टर रैले (जो बाद में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य के पहले अध्यक्ष बने), सर थियोडोर मॉरिसन, एफ. जे. फील्डन, हैडो हैरिस, फायरब्रेस और ई. सी. डिकिंसन शामिल थे, ने एएमयू के अंग्रेजी विभाग से जुड़कर इसका विस्तार किया।
सत्र का संचालन डॉ. सिद्धार्थ चक्रवर्ती ने किया, जबकि विभाग के सहायक प्रोफेसर मोहम्मद दानिश इकबाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर शिक्षकों और छात्रों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही।