हिन्दुस्तान मिरर:सहारनपुर: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत सहारनपुर रेंज के डीआईजी अजय कुमार साहनी ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। अपने सख्त फैसलों और ईमानदार छवि के कारण चर्चित डीआईजी ने मिर्जापुर थाने में तैनात इंस्पेक्टर नरेश कुमार को भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया। इस कार्रवाई से पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है।
क्या है मामला?
इंस्पेक्टर नरेश कुमार पर आरोप था कि उन्होंने थाना प्रभारी पद पर रहते हुए पूर्व एमएलसी हाजी इकबाल उर्फ बाला की बेनामी संपत्तियों को अपने निजी स्वार्थ के लिए बेचा और उसमें से एक संपत्ति अपनी पत्नी के नाम करा ली।
मामला मिर्जापुर थाना क्षेत्र का है, जहां लगभग 49.6 बीघा भूमि, जिसकी अनुमानित कीमत 91.40 लाख रुपये है, को इंस्पेक्टर ने बिना उचित अनुमति के अपनी पत्नी के नाम खरीद लिया था। यह पूरा मामला तब सामने आया जब मुख्यमंत्री कार्यालय में इसकी शिकायत हुई।
शिकायत से लेकर बर्खास्तगी तक का सफर
मुख्यमंत्री कार्यालय से मामले की शिकायत के बाद, इंस्पेक्टर नरेश कुमार को पहले निलंबित किया गया और उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया। इसके बाद विभागीय जांच शुरू हुई। उच्च स्तरीय जांच में इंस्पेक्टर नरेश कुमार को दोषी पाया गया। डीआईजी अजय कुमार साहनी ने इस पर तत्काल कार्रवाई करते हुए नरेश कुमार को पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया।
प्रेस विज्ञप्ति में क्या कहा गया?
डीआईजी कार्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि इस तरह के मामलों में संलिप्त अन्य पुलिस कर्मियों और भू-माफियाओं पर भी जांच जारी है। दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। डीआईजी अजय कुमार साहनी ने स्पष्ट किया कि कानून का दुरुपयोग करने वाले किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा।
भ्रष्टाचार पर सख्ती से अमल
यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश पुलिस में चल रहे सुधार अभियान के तहत की गई है। योगी सरकार की नीति के अनुरूप भ्रष्टाचार और बेईमानी पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। डीआईजी साहनी ने इस कार्रवाई से साफ संदेश दिया है कि सरकारी पद पर रहते हुए किसी भी प्रकार के अनुचित लाभ या पद के दुरुपयोग को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
अधिकारियों और भू-माफियाओं में मची खलबली
इस कार्रवाई के बाद से मिर्जापुर थाना क्षेत्र के अन्य पुलिसकर्मियों और भू-माफियाओं में दहशत है। पूर्व एमएलसी की अन्य संपत्तियों के मामले में भी पुलिस और स्थानीय प्रशासन के कई अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में और भी बर्खास्तगियां और सख्त कदम उठाए जा सकते हैं।
डीआईजी अजय कुमार साहनी की इस कार्रवाई ने यह साबित कर दिया है कि योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति केवल कागजों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे ज़मीनी स्तर पर लागू किया जा रहा है। सहारनपुर रेंज में भ्रष्टाचार के खिलाफ यह कदम न केवल एक मिसाल बनेगा, बल्कि प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही को भी बढ़ावा देगा।
रिपोर्ट : हिन्दुस्तान मिरर