जाट वंशावली ने वीर गोकुला जाट का बलिदान दिवस मनाया

Hindustan Miror:

Aligarh: नादा चौराहा स्थित चौधरी शशि सिंह के निवास पर वीर गोकुला जाट का बलिदान दिवस मनाया गया। मुख्य अतिथि चौधरी नरेंद्र सिंह (ब्लॉक प्रमुख, गौण्डा) ने वीर गोकुला सिंह जाट के चित्र पर माल्यार्पण किया और उनके जीवन, संघर्ष तथा योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने उपस्थित जनसमूह से वीर गोकुला सिंह जाट के सिद्धांतों पर चलने और उनके जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया।


कोन थे गोकुला जाट:

वीर गोकुला जाट, जिनका वास्तविक नाम गोकुल सिंह था, 17वीं सदी के एक महान योद्धा और किसान नेता थे। वे वर्तमान उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के तिलहू-छहत्तर (पूर्व में तिलपत) गाँव के निवासी थे। गोकुला जाट ने मुगल सम्राट औरंगजेब के अत्याचारों के खिलाफ किसानों को संगठित किया और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया।


• तिलपत का युद्ध (10 मई 1666): गोकुला जाट ने औरंगजेब की सेना के खिलाफ तिलपत में निर्णायक युद्ध लड़ा, जिसमें जाटों की विजय हुई। इस युद्ध में जाटों ने मुगल सेना को पराजित किया, जिससे औरंगजेब को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करना पड़ा।
किसानों का संगठित प्रतिरोध: मुगल शासन के बढ़ते करों और किसानों पर अत्याचारों के खिलाफ गोकुला जाट ने किसानों को संगठित किया और कर वसूली का विरोध किया। उन्होंने किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए मुगल प्रशासन के खिलाफ विद्रोह किया।
• शहादत: गोकुला जाट की बढ़ती लोकप्रियता और मुगल शासन के खिलाफ उनके संघर्ष से भयभीत होकर औरंगजेब ने उन्हें बंदी बना लिया। 1 जनवरी 1670 को आगरा किले में उन्हें क्रूरता से शहीद कर दिया गया। उनकी शहादत ने मुगल साम्राज्य की नींव हिला दी और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।

कार्यक्रमों में जाट समुदाय के कई प्रमुख सदस्य उपस्थित रहे, जिनमें चौधरी धर्मवीर सिंह, प्रमेन्द्र उर्फ गुड्डू चौधरी, चौधरी रनवीर सिंह, राजीव चौधरी, योगेश चौधरी, संजीव चौधरी, रंजीत चौधरी, प्रदीप चौधरी, भानु प्रताप सिंह एड., सुनीता चौधरी, उपमा चौधरी, ममता सिंह, अमित चौधरी, संजय चौधरी, पुष्पेंद्र चौधरी, शोभित चौधरी, हितेश चौधरी, भानु चौधरी, दिनेश चौधरी, विपिन चौधरी, लोकेन्द्र चौधरी, भूपेंद्र चौधरी, वेदपाल तेवतिया, उधम सिंह, महाराज सिंह, राजेश चौधरी, जतिन चौधरी, कन्हैया चौधरी आदि शामिल थे।

गोकुला जाट का बलिदान भारतीय इतिहास में एक प्रेरणास्त्रोत के रूप में याद किया जाता है। उनकी वीरता और संघर्ष ने भारतीय किसानों और आम जनता को मुगल शासन के खिलाफ उठ खड़े होने की प्रेरणा दी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *