इस बार सर्दियों की शुरुआत होते ही साँभर झील में फ़्लेमिंगों के आने से पूरी छटा गुलाबी-गुलाबी आभा से सराबोर हो गई है। पक्षी प्रेमी इस आवक से काफ़ी ख़ुश नज़र आ रहे हैं।साँभर झील में फ़्लेमिंगों के ज्यादा संख्या में आने से पर्यावरणविद भी सुकून में नज़र आ रहे हैं।
साँभर झील, राजस्थान में स्थित भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है, और यह पक्षी प्रेमियों और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है। हर साल, सर्दियों के मौसम में, यहाँ बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं, जिनमें फ्लेमिंगो (राजहंस) मुख्य रूप से शामिल हैं।
फ्लेमिंगो का आगमन:
1. प्रवासी पक्षी: फ्लेमिंगो मुख्य रूप से सर्दियों के दौरान साइबेरिया, यूरोप और अन्य ठंडे क्षेत्रों से सांभर झील की ओर प्रवास करते हैं।
2. खाद्य स्रोत: झील में खारे पानी के कारण नमकीन वनस्पति और माइक्रोऑर्गैनिज़्म की प्रचुरता है, जो फ्लेमिंगो का मुख्य भोजन है।
3. आवास स्थल: सांभर झील की शांत और प्राकृतिक वातावरण उनके लिए सुरक्षित और अनुकूल स्थान प्रदान करता है।
पर्यावरणीय महत्व:
• सांभर झील में फ्लेमिंगो का आना यह दर्शाता है कि झील का पर्यावरणीय स्वास्थ्य अभी भी अच्छा है।
• ये पक्षी जैव विविधता को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।
चुनौती:
हालांकि, मानव गतिविधियों जैसे नमक उत्पादन, औद्योगिक प्रदूषण, और झील के जल स्तर में गिरावट के कारण यहाँ आने वाले फ्लेमिंगो की संख्या में कमी देखी जा रही है।
नोट: सांभर झील को 1990 में रामसर स्थल घोषित किया गया था, जो इसे एक अंतर्राष्ट्रीय महत्व का आर्द्रभूमि स्थल बनाता है।