हिन्दुस्तान मिरर: अलीगढ़, 27 जनवरीः गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पॉलिटेक्निक सभागार में मुशायरे का आयोजन किया गया। मुशायरे की अध्यक्षता कुलपति प्रो नईमा खातून ने की। स्वागत उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रो कमरुल हुदा फरीदी ने किया। मुशायरे का संचालन प्रो सिराज अजमली ने किया। डीन प्रो टी एन सातीशन ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
मुशायरे में अपना कलाम पेश करते हुए–
वापसी की राह क्यों मिलती नहीं है
गरचे इस बाजार में आया गया हूँ बारहा मैं
-प्रोफेसर सैयद सराजुद्दीन अजमली
हम तशद्दुद के इस्तिआरे नहीं
क्या कोई सांप को भी मारे नहीं
-नोमान शौक
आओ मायूस न होने की कसम खाएं हम
मुस्तकिल एक से हालात नहीं होते हैं
-फारूक जाईसी
जो दाम है दरिया में वो फेंका था हमी ने
इस दाम में फँसती हुई माही भी हमी थे
नसीम आलम
नजर भी हाल मेरे दिल का कह नहीं पाती
जबान की तरह मेरी आँख में भी लुकनत है
-गजनफर
इश्क की बुनियाद ही ऐसी पड़ी है सर-बसर
वो मुझे छूता है और तामीर हो जाता हूँ मैं
-मुशताक सदफ
कल फैसला सुनाया था जिसने मेरे खिलाफ
वो खूब जानता था वो इन्साफ पर न था
-आरीफ हसन
जिंदगी है बामानी जिंदगी है बे-मानी
एक तेरे आने से एक तेरे जाने से
-महताब हैदर नकवी
अपनी जात से आगे जाना है जिसको
उसको बर्फ से पानी होना पड़ता है
-मुईद रशीदी
सुना है फिर वो मुखातिब करेंगे आज की रात
सो हमने अपने कलेजे को थाम रखा है
-आलम खुर्शीद
दिलों में जहर बोया जा रहा है
फिर इसके बाद रोया जा रहा है
-डॉ. सरवर साजिद
ये भी कमाल इश्क ने करके दिखा दिया
हमने सभी को जीते जी मरके दिखा दिया
-राहत हसन
पहचान ही न पाए कभी खुद को आज तक
हम जब भी आईने के मुकाबिल में आए हैं
-नासिर शकीब
तुम जिस को समझते हो कि मैं हूँ वो नहीं मैं
रखा हूँ जहाँ पर मैं वहाँ पर नहीं रखा
-सरफराज खालिद
ताकि तखलीक के परदे से बशारत हो अयां
रक्स मिट्टी का दिखा चाक घुमाने वाले
-अहमद नदीम
यहाँ से तुम्हें अकेले ही लौटना होगा
मोहब्बतों के सफर का यही किराया है
-मुहम्मद अफजल
यह शिकायत है मेरी इश्क के मेमारों से
रेत ही रेत निकल आती है दीवारों से
-अरीब उस्मानी
आते आते आएंगी इस राह में मुश्किल बहुत
बाद इसके ही तो हम को भाएगी मंजिल बहुत
-साइन अलीग
उसने हुशियारी से कर लीं पार सारी सरहदें
मैं अना का एक पूजारी, दाईमी पागल रहा
-सद्दाम हुसैन मुजमिर अलीग
जब वो पूछेंगे बताओ जिंदगी भर क्या किया
सब कहेंगे आपने जैसा कहा वैसा किया
-अरमान खान अरमान
साफ सूरत कहाँ नजर आई
उसको देखा तो आँख भर आई
-अशहर कदीर
मैं जिंदगी का जख्म हूँ
जब भी कुरेदो
नज्म जन्ती हूँ
-शबनम इशाई