हिन्दुस्तान मिरर अलीगढ़ 22 फरवरी: राष्ट्रीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सक सम्मेलन मुमता काश मंच पर सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ आयुर्वेद प्रवर्तक भगवान धन्वंतरि जी के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया। दीप प्रज्वलन का कार्य सम्मेलन के संरक्षक आचार्य डॉ. अब्दुल सत्तार (सत्यवान) एवं वैद्य पदमदत्त पाठक ने किया।
मुख्य वक्ता डॉ. लालता प्रसाद त्यागी ने “मिर्गी (अपस्मार) रोग” पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मस्तिष्क लगभग 86 अरब न्यूरॉन्स से बना होता है, जिनकी क्रियाशीलता से हमारी ऐच्छिक एवं अनैच्छिक गतिविधियाँ नियंत्रित होती हैं। मस्तिष्क के कोशों में एक विद्युतीय प्रवाह बना रहता है, जिससे न्यूरॉन्स आपस में संपर्क साधते हैं। जब यह विद्युत प्रवाह अनियंत्रित हो जाता है, तो व्यक्ति को झटके आने लगते हैं, जिसे मिर्गी कहते हैं। उन्होंने बताया कि फीताकृमि परजीवी (Tapeworm) के कारण लगभग 40% मिर्गी रोगी बन रहे हैं।
विशिष्ट वक्ता वैद्य मुकेश मिश्रा ने मानसिक रोगों के विभिन्न प्रकारों का वर्णन किया और मिर्गी की चिकित्सा पर अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि आयुर्वेदिक औषधियों द्वारा मिर्गी का सफलतापूर्वक उपचार संभव है। उन्होंने चिकित्सकों के साथ कई अनुभूत योग साझा किए और आपसी प्रेम व एकता को बढ़ाने पर जोर दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वैद्य पदमदत्त पाठक ने की, जबकि सफल संचालन का कार्य डॉ. विष्णुदत्त शर्मा ने किया। इस अवसर पर वैद्य डॉ. रामचरन सरोज सहित अन्य प्रतिष्ठित चिकित्सक भी उपस्थित रहे।