हिन्दुस्तान मिरर: अलीगढ़, 17 फरवरी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के क़ुरआनिक अध्ययन के क.ए. निजामी केंद्र द्वारा ‘क़ुरआन में लोहे का वर्णन’ विषय पर एक ज्ञानवर्धक व्याख्यान आयोजित किया गया, जो कि क़ुरआन एक्सटेंशन लेक्चर सीरीज़ ‘क़ुरआन में अल्लाह के रचनात्मक चमत्कार – एक वैज्ञानिक अध्ययन’ के अंतर्गत किया गया था। इस सत्र में भौतिकी विभाग, एएमयू के प्रोफ़ेसर सैयद सिकंदर ज़ुलक़रनैन अशरफ ने क़ुरआन के मार्गदर्शन और आधुनिक वैज्ञानिक खोजों के बीच के संबंधों पर प्रकाश डाला।
अपने भाषण में, प्रोफ़ेसर अशरफ ने सूरह अल-हदीद (57ः25) को उदृघत पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें लोहे के ईश्वरीय महत्व को रेखांकित किया गया है। उन्होंने समकालीन वैज्ञानिक निष्कर्षों पर विस्तार से चर्चा की, जिसमें बताया कि लोहा पृथ्वी पर उत्पन्न नहीं हुआ था, बल्कि यह उल्का प्रक्रिया द्वारा आया था, जो आधुनिक खगोल भौतिकी से मेल खाता है। व्याख्यान में यह भी बताया गया कि लोहा तकनीकी प्रगति, चिकित्सा और जैविक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और इस प्रकार क़ुरआन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण की गहराई को उजागर किया गया है।
एक अन्य विस्तार व्याख्यान ‘क़ुरआन और शारीरिक रचना’ में, अतिथि वक्ता शारीरिक रचना विभाग, जे.एन. मेडिकल कॉलेज, एएमयू की डॉ. नेमा उस्मान ने क़ुरआनी रहनुमाई और आधुनिक शारीरिक विज्ञान के बीच के संयोग की पड़ताल की।
उन्होंने मानव निर्माण और शारीरिक प्रक्रियाओं के क़ुरआनी विवरणों का गहराई से विश्लेषण किया और यह बताया कि ये समकालीन शारीरिक विज्ञान की खोजों के साथ किस प्रकार मेल खाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि क़ुरआन कैसे मानव शरीर की जटिलताओं पर चिंतन करने के लिए प्रेरित करता है, जो ईश्वरीय ज्ञान का प्रमाण है।
इन आयोजनों की अध्यक्षता केंद्र के निदेशक, प्रोफ़ेसर अब्दुर रहीम किदवाई ने की और डॉ. अरशद इकबाल ने संचालन किया।
व्याख्यानों के बाद चर्चा में प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से प्रश्न पूछे।
पहले व्याख्यान के बाद डॉ. नजीर अहमद अब्दुल माजिद ने धन्यवाद ज्ञापित किया, जबकि दूसरे व्याख्यान के समापन पर, शोधार्थी अदीबा ताज ने वक्ता, समन्वयक और उपस्थित लोगों के योगदान के लिए आभार व्यक्त किया।