हिन्दुस्तान मिरर: उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों ने बिजली वितरण कंपनियों के निजीकरण के प्रस्ताव के खिलाफ अपने विरोध को तेज कर दिया है। हाल ही में, प्रदेश के दो डिस्कॉम (पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम) और चंडीगढ़ में कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर काम करते हुए अपना असंतोष व्यक्त किया। उनकी मुख्य मांग है कि बिजली के निजीकरण के प्रस्ताव को तुरंत रद्द किया जाए।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि बिजली के निजीकरण की कार्यवाही 5 अप्रैल 2018 और 6 अक्टूबर 2020 को प्रदेश सरकार के मंत्रियों के साथ हुए लिखित समझौतों का उल्लंघन है, जिससे बिजली कर्मचारियों में गुस्सा बढ़ रहा है।
कर्मचारियों ने घोषणा की है कि यदि 23 जनवरी को होने वाली प्री-बिडिंग कॉन्फ्रेंस निरस्त नहीं की गई, तो वे सशक्त प्रतिकार करेंगे।
इससे पहले, 13 जनवरी को भी प्रदेश भर के बिजली कर्मियों ने विरोध दिवस मनाया था, जिसमें उन्होंने निजीकरण के लिए सलाहकार नियुक्त करने के फैसले का विरोध किया था।
बिजली कर्मचारियों का कहना है कि निजीकरण से न केवल उनकी नौकरी पर खतरा है, बल्कि उपभोक्ताओं के हित भी प्रभावित होंगे। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे अपने आंदोलन को और तेज करेंगे।
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