हिन्दुस्तान मिरर: अलीगढ़, 22 जनवरी:
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के जेएन मेडिकल कॉलेज के एनेस्थिसियोलॉजी और क्रिटिकल केयर विभाग के प्रोफेसर एस. मुईद अहमद ने पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (पीआईएमएस), चंडीगढ़ में आयोजित सीएमई-सह-कार्यशाला में महत्वपूर्ण चिकित्सा तकनीकों पर व्याख्यान और व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया। यह कार्यशाला सोसाइटी ऑफ ट्रॉमा एनेस्थीसिया एंड क्रिटिकल केयर के तत्वावधान में आयोजित हुई।
विषय: ‘आपातकालीन फ्रंट ऑफ नेक एक्सेस – क्या, क्यों, कब और कैसे’
प्रोफेसर मुईद ने “फ्रंट ऑफ नेक एक्सेस” के आपातकालीन उपयोग और इससे जुड़े सभी पहलुओं पर गहराई से चर्चा की। उन्होंने बताया कि ऐसी आपातकालीन स्थिति में, जहां मरीज को ऑक्सीजन देने में असमर्थता हो, इंट्यूबेशन विफल हो और पूर्ण वेंटिलेशन संभव न हो, यह तकनीक जीवनरक्षक साबित हो सकती है।
उन्होंने बताया, “यह एक अत्यंत दुर्लभ और गंभीर स्थिति होती है, जिसका सामना अधिकांश डॉक्टर अपने पूरे करियर में शायद ही कभी करते हैं। इसलिए, डॉक्टरों को इन तकनीकों को सीखने और अभ्यास करने की आवश्यकता है ताकि वे किसी भी अप्रत्याशित संकट से निपटने के लिए तैयार रह सकें।”
प्रमुख तकनीकों का प्रदर्शन और प्रशिक्षण
कार्यशाला के दौरान, प्रोफेसर मुईद ने ऑल इंडिया डिफिकल्ट एयरवे एसोसिएशन द्वारा सुझाई गई तीन प्रमुख तकनीकों पर प्रकाश डाला:
1. सर्जिकल एवं स्केलपेल-बोगी तकनीक: एक सरल और प्रभावी पद्धति।
2. कैनुला तकनीक: एक विशिष्ट उपकरण का उपयोग कर वायुमार्ग खोलने की विधि।
3. नीडल क्रिकोथायरॉइडोटॉमी: एक सुई के माध्यम से वायुमार्ग तक पहुंचने की तकनीक।
उन्होंने इन तकनीकों का प्रदर्शन पुतलों और जानवरों के मॉडल की मदद से किया, जिससे उपस्थित डॉक्टरों और रेजिडेंट्स को व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हुआ।
आपातकालीन चिकित्सा में तकनीकी ज्ञान का महत्व
प्रोफेसर मुईद ने जोर देकर कहा कि ऐसे दुर्लभ और जटिल संकट से निपटने के लिए हर एनेस्थेसियोलॉजिस्ट को इन तकनीकों का प्रशिक्षण लेना चाहिए। उन्होंने डॉक्टरों को प्रशिक्षण सत्र के माध्यम से न केवल इन विधियों को समझाया, बल्कि उन्हें अभ्यास का भी अवसर दिया।
चिकित्सा क्षेत्र में यह कदम क्यों है महत्वपूर्ण?
आपातकालीन स्थितियों में तेज और प्रभावी कार्रवाई के लिए यह प्रशिक्षण डॉक्टरों को तैयार करता है। इस तरह की पहल न केवल मेडिकल प्रोफेशनल्स के कौशल को बढ़ाती है, बल्कि संकट की घड़ी में मरीजों के जीवन बचाने में भी सहायक होती है।
इस कार्यशाला में बड़ी संख्या में डॉक्टर, रेजिडेंट्स और एनेस्थेसिया विशेषज्ञ शामिल हुए। यह आयोजन कठिन परिस्थितियों में चिकित्सा प्रबंधन में अत्यधिक प्रभावी साबित हुआ।