हिन्दुस्तान मिरर: अलीगढ़ 8 मार्चः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की इंटरनल कंप्लेंट्स कमेटी (आईसीसी) द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर एक क्विज प्रतियोगिता आयोजित की गयी। यह प्रतियोगिता इस दिन के सम्बन्ध में सामान्य जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित की गई। जिसमें कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम, निषेध और निवारण से जुड़े कानून पर विशेष ध्यान दिया गया।
इस अवसर पर आईसीसी की अध्यक्ष प्रोफेसर समीना खान ने कहा कि लैंगिक समानता और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मूलभूत जागरूकता और जानकारी होना बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि इस साल के महिला दिवस की थीम ‘तेज कार्रवाई हमें यह याद दिलाती है कि नीतियाँ तो बनी हैं, लेकिन अब उन्हें जमीन पर उतारने और प्रभावी रूप से लागू करने की जिम्मेदारी संस्थानों, कार्यस्थलों और व्यक्तियों की है।
प्रोफेसर खान ने कहा कि महिला सशक्तिकरण पर बहुत चर्चाएँ हो चुकी हैं अब हमें वास्तविक कार्रवाई की जरूरत है। आप सभी का यहां आना इस दिशा में पहला कदम है। जानकारी ही सार्थक बदलाव की बुनियाद रखती है।
उन्होंने छात्रों एवं छात्राओं को आश्वस्त किया कि आईसीसी केवल शिकायतों के निवारण तक सीमित नहीं है, बल्कि जागरूकता और परामर्श के माध्यम से सुरक्षित वातावरण बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता रोकथाम, निषेध और निवारण है। विश्वविद्यालय में किसी पुलिसिया रवैये के बजाय शिक्षाप्रद और संवेदनशील उपायों से समस्याओं का समाधान किया जाता है। हम यह सुनिश्चित करते हैं कि शिकायतकर्ता और प्रतिवादी दोनों के अधिकारों की निष्पक्ष जांच और समर्थन के माध्यम से रक्षा हो।
प्रोफेसर खान ने आग्रह किया कि वे अपने शिक्षकों से खुलकर चर्चा करें और मार्गदर्शन लें। उन्होंने बताया कि यौन उत्पीड़न केवल शारीरिक संपर्क तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें मौखिक टिप्पणियाँ, इशारे और डराने वाले भाव भंगिमा भी शामिल हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि उत्पीड़न एक व्यक्तिगत अनुभव है और हर व्यक्ति की चिंता महत्वपूर्ण होती है।
इसके साथ ही उन्होंने छात्रों से समाज में बदलाव लाने वाले सक्रिय नागरिक बनने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि शिक्षा केवल अकादमिक ज्ञान तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें लैंगिक संवेदनशीलता और समानता को भी बढ़ावा देना शामिल है। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा हर संकाय में ‘जेंडर चैम्पियन’ नियुक्त करने की पहल का उल्लेख कियाए, जो जागरूकता बढ़ाने और समावेशिता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
आईसीसी सदस्य प्रोफेसर रूमाना एन सिद्दीकी ने छात्रों से यौन उत्पीड़न के प्रति जागरूकता फैलाने और जरूरत पड़ने पर आईसीसी से सहायता लेने की अपील की।
प्रोफेसर आसिया चैधरी ने समाज में महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रहों और प्रतिबंधों पर प्रकाश डाला।
आईसीसी के छात्र प्रतिनिधि अमजद अशरफ मल्ला ने यौन उत्पीड़न की रोकथाम, निषेध और निवारण से जुड़े कानून के विभिन्न प्रावधानों की जानकारी दी।
इस क्विज प्रतियोगिता में विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों से बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने भाग लिया।
इसके अलावा, सेंटर फॉर कंटीन्यूइंग एंड एडल्ट एजुकेशन एंड एक्सटेंशन द्वारा महिला दिवस के अवसर पर एक व्याख्यान आयोजित किया गया, जिसमें विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अली जाफर आब्दी ने लैंगिक समानता और महिलाओं के स्वास्थ्य पर चर्चा की।
डॉ. आबिदी ने बताया कि वैश्विक स्तर पर महिलाएँ पुरुषों की तुलना में 23 प्रतिशत कम वेतन पाती हैं और बिना वेतन वाले घरेलू कार्यों में तीन गुना अधिक समय व्यतीत करती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सामाजिक असमानताओं को समाप्त करने की गति बहुत धीमी है। बाल विवाह खत्म होने में अभी 300 साल और कार्यस्थलों पर समान नेतृत्व स्थापित होने में 140 साल लग सकते हैं।
महिला स्वास्थ्य पर जोर देते हुए उन्होंने संतुलित आहार, नियमित व्यायामए तनाव प्रबंधन और रोकथाम संबंधी स्वास्थ्य सेवाओं को अपनाने पर बल दिया। उन्होंने महिला शिक्षार्थियों से कौशल विकास जारी रखने का आग्रह किया और बताया कि भारत में महिला साक्षरता दर 2010 से 2021 के बीच 14.4 प्रतिशत बढ़ी है।
कार्यक्रम का समापन केन्द्र के निदेशक डॉ शमीम अख्तर द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।