शेख अब्दुल्ला ने लड़कियों की शिक्षा के लिए समय की धारा को मोड़ दियाः प्रोफेसर नईमा खातून

हिन्दुस्तान मिरर: अलीगढ़, 18 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के विमेंस कॉलेज ने भारत में महिलाओं की शिक्षा के लिए अभूतपूर्व कार्य किए हैं। कॉलेज के संस्थापक शेख अब्दुल्ला और उनकी पत्नी वहीद जहां (आला बी) ने अपनी कड़ी मेहनत से यह छांवदार पेड़ लगाया था।

संस्थापक दिवस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून ने कहा कि महिलाओं पर शेख अब्दुल्ला का बहुत बड़ा अहसान है, जिन्होंने लड़कियों की शिक्षा के लिए समय की धारा को मोड़ दिया। आज हम और आप जो यहां उपस्थित हैं, महिलाओं और लड़कियों की जो मानसिक और शैक्षिक स्थिति है, सामाजिक स्तर और आर्थिक स्थिति है, इसमें सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण योगदान शेख अब्दुल्ला का है जिन्होंने विमेंस कॉलेज की शक्ल में जो शिक्षा का दीप जलाया था, उसने पूरे समाज, खासकर लड़कियों की जिंदगी को रोशन कर दिया।

कुलपति ने सर सैयद अहमद खान, शेख अब्दुल्ला और वहीद जहां को समाज में शिक्षा की नींव बताया। कुलपति ने अपने छात्र जीवन को याद करते हुए कहा कि उन दिनों को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

इस अवसर पर प्रोफेसर नईमा खातून ने कॉलेज के बुनियादी ढांचे और फैकल्टी में वृद्धि का भी आवश्वासन दिया और कहा कि छात्राओं की शिक्षा के लिए जो भी आवश्यकताएं हैं, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाएगा।

मानद् अतिथि प्रोफेसर अजरमी दुख्त सफवी ने कहा कि वाइस चांसलर प्रोफेसर नईमा खातून विमेंस कॉलेज के संस्थापक शेख अब्दुल्ला के सपनों को साकार कर रही हैं। उन्होंने जो पौधा लगाया था, यह उसी का फल है। शिक्षा वह हथियार है जिसके द्वारा दुनिया को जीत सकते हैं।

उन्होंने छात्राओं से कहा कि शेख अब्दुल्ला ने कड़ी मेहनत और संघर्ष के बाद सफलता प्राप्त की। यह वह समय था जब समाज, विशेष रूप से मुस्लिम समाज, महिलाओं की शिक्षा के लिए तैयार नहीं था। शेख अब्दुल्ला और उनकी पत्नी द्वारा जो कार्य किया गया, वह इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है।

कॉलेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर मसूद अनवर अलवी ने स्वागत भाषण में कहा कि कॉलेज के संस्थापक शेख अब्दुल्ला और उनकी पत्नी वहीद जहां (आला बी) ने उस दौर में महिलाओं की शिक्षा की चिंता की जब दुनिया उनके लिए अंधेरे में थी। उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि सभ्यता और शिष्टाचार के लिए महिलाओं का शिक्षित होना आवश्यक है और इन दोनों व्यक्तित्वों ने अपनी पूरी ध्यान इसी पहलू पर केंद्रित करके महिलाओं को शिक्षित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उन्होंने कॉलेज की उपलब्धियों के बारे में रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि पिछले एक साल में कई छात्राओं ने दुनिया की प्रमुख विश्वविद्यालयों में न केवल शिक्षा के लिए प्रवेश लिया, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर की विश्वविद्यालयों में अध्यापक के रूप में भी चयनित हुई हैं। इसी तरह, खेल के मैदान में हमारी छात्राओं ने राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लिया और सफलताएं प्राप्त की हैं।

फीमेल एजुकेशन की सचिव प्रोफेसर जकिया सिद्दीकी ने फीमेल एजुकेशन की महत्ता और महिलाओं की शिक्षा में इसके योगदान पर प्रकाश डालते हुए बताया कि लड़कियों की शिक्षा के लिए यह पहला संगठित संस्थान था, जिसके सचिव के रूप में शेख अब्दुल्ला ने यह कार्य किया कि आज लड़कियां शैक्षिक और सामाजिक क्षेत्र में इतनी विकसित हैं।

इस अवसर पर कॉलेज की मैगजीन, न्यूजलेटर और अन्य पांच किताबों का भी विमोचन किया गया।

डॉ. इमराना खातून की उपस्थिति में छात्राओं ने तराना प्रस्तुत किया। बीए की छात्रा रितयांतिका सिंह ने शेख अब्दुल्ला और वहीद जहां को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके जीवन के महत्वपूर्ण मोड़ों और महिलाओं की शिक्षा के लिए उनकी सेवाओं पर विस्तृत प्रकाश डाला।

कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर नाजिया हसन और डॉ. हुमैरा महमूद आफरीदी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डा. बुशरा हुसैन ने दिया। अब्दुल्ला हॉल की प्रोवोस्ट डॉ. शीबा जीलानी सहित इस अवसर पर कॉलेज के सभी शिक्षक, गैर-शैक्षिक कर्मचारी और छात्राएं उपस्थित रहीं

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