हिन्दुस्तान मिरर, 23 जनवरी 2025
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आज बिजली विभाग के हजारों कर्मचारियों ने शक्ति भवन का घेराव करते हुए निजीकरण के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया। बिजली कर्मचारियों, संविदा कर्मियों और अभियंताओं ने सुबह 10 बजे से ही शक्ति भवन पर एकत्रित होकर नारेबाजी की और निजीकरण की नीतियों के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया। 
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) द्वारा बिजली के निजीकरण के लिए ट्रांजैक्शन कंसलटेंट की नियुक्ति के लिए प्री-बिडिंग कॉन्फ्रेंस गुप्त रूप से आयोजित की गई, जो पारदर्शिता के खिलाफ है। इससे नाराज होकर कर्मचारियों ने शक्ति भवन का घेराव किया, जिसके परिणामस्वरूप निर्धारित प्री-बिडिंग कॉन्फ्रेंस नहीं हो सकी। 
संघर्ष समिति ने घोषणा की है कि जब तक बिजली के निजीकरण का निर्णय वापस नहीं लिया जाता, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। 24 और 25 जनवरी को बिजली कर्मचारी काली पट्टी बांधकर काम करेंगे और भोजनावकाश या कार्यालय समय के बाद विरोध सभाएं आयोजित करेंगे। 25 जनवरी को संघर्ष समिति आंदोलन के अगले चरण की घोषणा करेगी। 
प्रदर्शन के दौरान शक्ति भवन के गेट बंद करने पड़े, जिससे कर्मचारियों में और आक्रोश बढ़ा। संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप की अपील की है, ताकि पॉवर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन को मनमाने ढंग से कार्य करने से रोका जा सके और निजीकरण की प्रक्रिया वापस हो। 
राजधानी लखनऊ के अलावा वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज, आजमगढ़, बस्ती, देवीपाटन, अयोध्या, मिर्जापुर, बरेली, मुरादाबाद, गाजियाबाद, बुलंदशहर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, झांसी, ललितपुर, बांदा, कानपुर, पनकी, जवाहरपुर, हरदुआगंज, एटा, अलीगढ़, पारीछा, आगरा, मथुरा, ओबरा, पिपरी और अनपरा में भी बड़ी सभाएं आयोजित की गईं। 
बिजली कर्मचारियों के इस व्यापक विरोध प्रदर्शन से प्रदेश में बिजली आपूर्ति पर असर पड़ने की आशंका है। हालांकि, संघर्ष समिति ने आश्वासन दिया है कि आम जनता को असुविधा से बचाने के लिए आवश्यक सेवाओं को बाधित नहीं किया जाएगा। 
प्रदर्शनकारियों ने सरकार से पारदर्शिता सुनिश्चित करने और बिजली क्षेत्र में सुधार के लिए कर्मचारियों के साथ संवाद स्थापित करने की मांग की है, ताकि सभी पक्षों के हितों की रक्षा हो सके।