हिन्दुस्तान मिरर: 300 वीं जयंती के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों और आयोजनों के माध्यम से उनके जीवन और कृतित्व को वर्तमान और भावी पीढ़ी तक पहुँचाने का प्रयास किया जा रहा है।
NCWEB, NCW और DU दिल्ली विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर डॉ. ऋषिकेश सिंह ने लोकमाता अहल्याबाई होल्कर के जीवन को भारतीय इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय बताते हुए कहा कि उनका शासन, कर्तृत्व, सादगी, धर्म के प्रति समर्पण, प्रशासनिक कुशलता, दूरदृष्टि और उज्ज्वल चारित्र्य का अद्वितीय उदाहरण था।
हिंदुस्तान मिरर को दिए वक्तव्य में उन्होंने कहा कि लोकमाता अहल्याबाई भारत की सांस्कृतिक एकता की सूत्रधार हैं। जिस प्रकार का महान कार्य उनसे पहले आदि शंकराचार्य ने किया और उनसे बाद में सरदार बल्लभ भाई पटेल ने किया— उसी एकता-स्तंभ में लोकमाता आज भी पूरी दिव्यता के साथ देदीप्यमान हैं।
डॉ. सिंह ने आगे कहा कि, पुण्य श्लोका माता वस्तुतः भारत की अस्मिता को पहचाने जाने तथा पुनः अपना स्थान दिलाए जाने के अति गंभीर प्रयासों की प्रतिमूर्ति हैं। उन्होंने बद्रीनाथ से रामेश्वरम और द्वारका से पुरी तक— आक्रमणों से क्षतिग्रस्त मंदिरों का पुनर्निर्माण करवाया जिससे उनकी राष्ट्रीय दृष्टि का परिचय मिलता है।
इस त्रिशताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में देशभर में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें समाज के सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है।
इन आयोजनों का उद्देश्य अहल्याबाई के महान कार्यों और योगदान को जन-जन तक पहुँचाना है, ताकि उनके दिखाए सादगी, चारित्र्य, धर्मनिष्ठा और राष्ट्रीय स्वाभिमान के मार्ग पर चलकर समाज उनका अनुसरण कर सके।
बिसार दिए गए प्राचीन वैभव और जिज्ञासु वर्तमान भारत के बीच सनातन की जीवंत मशाल लिए तत्परता से, आज भी हम सब भारतवासियों को अपने गौरवशाली जीवन से सतत जागरूक करने वाली लोकमाता अहल्याबाई के जन्मवर्ष की त्रिशती के इस ऐतिहासिक अवसर पर डॉ. ऋषिकेश सिंह ने विचार व्यक्त किए, उनसे हमें अपनी विरासत को गहराई से समझने में सहायता मिलेगी।
रिपोर्ट : हिंदुस्तान मिरर, दिल्ली