हिन्दुस्तान मिरर: अलीगढ़, 22 फरवरीः भारत में कैंसर एक जटिल और तेजी से बढ़ती चुनौती है, जिसे बहुआयामी दृष्टिकोण से हल करने की आवश्यकता है। इसी विचारधारा को केंद्र में रखते हुए, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में ‘डिफीटिंग कैंसर थ्रू कोलैबोरेशनः एस्टब्लिशिंग कैंसर नैनोमेडिसिन कंसोर्टियम’ शीर्षक से दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में उद्योग, सरकारी, चिकित्सा और शैक्षणिक संस्थानों के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया, जिसका उद्देश्य इंडस्ट्री-एकेडेमिया-हॉस्पिटल के बीच सहयोग को मजबूत करना था।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए एएमयू की कुलपति, प्रो. नायमा खातून, जो इस आयोजन की मुख्य संरक्षक थीं, ने इस पहल की सराहना की और कहा कि नैनोमेडिसिन लक्षित उपचार, जैव उपलब्धता और कम विषाक्तता के कारण कैंसर उपचार के क्षेत्र में एक उभरता हुआ विकल्प है।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रो. बुशरा अतीक (आईआईटी-कानपुर) ने इस अद्वितीय कंसोर्टियम के गठन की सराहना करते हुए कहा कि कैंसर एक ऐसा रोग है जो कई कारणों से होता है और जिसे विभिन्न विषयों के समावेश से ही प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने कैंसर अनुसंधान को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि भारत में कैंसर से होने वाली मृत्यु दर को कम किया जा सके।
संगोष्ठी के संयोजक, डॉ. मोहम्मद अजहर अजीज ने कहा कि यह कंसोर्टियम केवल एक अकादमिक पहल नहीं, बल्कि कैंसर निदान, उपचार और रोकथाम के लिए नवीन समाधान विकसित करने की दिशा में हमारी प्रतिबद्धता का घोतक है। डॉ. अजीज कैंसर नैनोमेडिसिन कंसोर्टियम के संस्थापक-निदेशक हैं, जिसमें वर्तमान में एएमयू के तीन संकायों और सात विभागों के विशेषज्ञ शामिल हैं।
उद्योग जगत से डॉ. मोहम्मद जैनुद्दीन (जुबिलेंट थेरेप्यूटिक्स) ने अकादमिक अनुसंधान को तेजी से व्यावसायीकरण की ओर ले जाने की जरूरत पर जोर दिया। वहीं, डॉ. पूनम यादव (विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, नई दिल्ली) ने फंडिंग प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी और विश्वविद्यालय को अधिक अनुसंधान परियोजनाओं के प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया।
क्लिनिकल क्षेत्र से जुड़े प्रो. ऋतु कुलश्रेष्ठ (पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट), डॉ. ऋषिकेश झा (अपोलो हॉस्पिटल) और प्रो. अफजल अनीस (जेएनएमसी, एएमयू) ने प्रारंभिक पहचान, जीवनशैली में बदलाव और अनुसंधान को चिकित्सा पद्धति में एकीकृत करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके अलावा, डॉ. मोहन जोशी (जामिया मिलिया), प्रो. फर्रूख अरजुमंद (एएमयू) और डॉ. कौसर एम. अंसारी (आईआईटी-आर, लखनऊ) ने कैंसर उपचार में स्वदेशी अनुसंधान की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया।
कैंसर नैनोमेडिसिन कंसोर्टियम के प्रमुख सदस्य प्रो. अफजाल अनीस (सर्जरी), प्रो. मोहम्मद अकरम (रेडियोथेरेपी), प्रो. मोहम्मद जसीम हसन (पैथोलॉजी), प्रो. राशिद अली (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), प्रो. हमीद अशरफ (एंडोक्राइनोलॉजी), डॉ. हिफ्जुर आर. सिद्दीकी (जूलॉजी) और संस्थापक-निदेशक डॉ. मोहम्मद अजहर अजीज (नैनोटेक्नोलॉजी) हैं।
इस संगोष्ठी में विभिन्न संस्थानों से आए शोधकर्ताओं ने मौखिक और पोस्टर प्रस्तुतियों में भाग लिया। मिस मरयम खुर्शीद (आईआईटी-दिल्ली) को सर्वश्रेष्ठ मौखिक प्रस्तुति पुरस्कार मिला, जबकि सैयद मोहम्मद हसन आबिदी को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया। उमरा अर्शद (एएमयू, केमिस्ट्री) ने सर्वश्रेष्ठ पोस्टर पुरस्कार जीता, जबकि डॉ. नाउरीन रिजवी (जेएनएमसी, एएमयू) को सांत्वना पुरस्कार दिया गया।
यह संगोष्ठी कैंसर अनुसंधान में बहुआयामी सहयोग को प्रोत्साहित करने और भविष्य में इस दिशा में नए आयाम स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।