इंजीनियरिंग और मॉडलिंग छोड़ पुरातन सनातन से जुड़ रहे युवा

प्रोफेशनल्स में बढ़ रहा सनातन संस्कृति का आकर्षण

ग्लैमर और विज्ञान की दुनिया से आध्यात्म की ओर बढ़ा रुझान

महाकुम्भ में इंजीनियर बाबा और ग्लैमर वर्ल्ड छोड़कर आई हर्षा बनीं नजीर

महाकुम्भनगर, 14 जनवरी :

आजकल के प्रोफेशनल जीवन को जी रहे युवाओं में भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म का आकर्षण तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। कई पेशेवर, जैसे एंकर, मॉडल, और इंजीनियर, अब भारतीय परंपराओं और अध्यात्म की ओर रुख कर रहे हैं। हाल ही में महाकुम्भ के आयोजन के दौरान ऐसे कई उदाहरण देखने को मिले। उत्तराखंड की एक युवती ने ग्लैमर की दुनिया को छोड़कर स्वामी कैलाशानंद गिरि से दीक्षा ली, वहीं आईआईटी बॉम्बे के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के स्टूडेंट रहे इंजीनियर बाबा ने महाकुम्भ में श्रद्धालुओं को विज्ञान और आध्यात्म के मिलन से परिचित कराया।

ग्लैमर की दुनिया से सनातन धर्म की शरण में आई युवती

उत्तराखंड की हर्षा ने महाकुम्भ में सनातन धर्म की दीक्षा ली। वह ग्लैमर इंडस्ट्री का हिस्सा रह चुकी हैं, लेकिन उन्होंने अपने जीवन को एक नया मोड़ देते हुए सनातन धर्म को अपनाया। हर्षा ने कहा, “प्रोफेशनल लाइफ में दिखावे और आडंबर से भरी जिंदगी ने मुझे उबा दिया। मैंने महसूस किया कि वास्तविक सुख और शांति केवल सनातन धर्म की शरण में ही है। स्वामी कैलाशानंद गिरि से दीक्षा लेने के बाद मैंने जीवन का नया अर्थ समझा है।”

इंजीनियर बाबा बोले, विज्ञान और अध्यात्म का संगम है महाकुम्भ

हरियाणा के अभय सिंह, जिन्हें अब इंजीनियर बाबा के नाम से जाना जाता है, ने महाकुम्भ में श्रद्धालुओं को विज्ञान और आध्यात्म के संबंध को समझाया। अभय सिंह, जो पहले आईआईटी बॉम्बे में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के छात्र थे, अब अपना ज्ञान श्रद्धालुओं के बीच बाँट रहे हैं। उन्होंने कहा, “विज्ञान केवल भौतिक जगत को समझाने का माध्यम है, लेकिन इसका गहन अध्ययन हमें आध्यात्म की ओर ले जाता है। जब हम जीवन को पूरी तरह से समझते हैं, तब हम अंततः आध्यात्मिकता की ओर बढ़ते हैं।”

महाकुम्भ ने बढ़ाया सनातन धर्म का प्रभाव

महाकुम्भ में आए लाखों श्रद्धालु भारतीय संस्कृति और आध्यात्म के विविध पहलुओं से परिचित हो रहे हैं। इस आयोजन ने सनातन धर्म के महान प्रभाव को जन-जन तक पहुँचाया है और इसने प्रोफेशनल्स और युवाओं में आध्यात्मिकता की ओर बढ़ते रुझान को स्पष्ट रूप से उजागर किया है। महाकुम्भ, जहां आध्यात्मिकता और विज्ञान का संगम हुआ, अब एक प्रतीक बनता जा रहा है, जो यह दर्शाता है कि आधुनिक जीवन से ऊबकर लोग शांति और स्थायित्व की तलाश में भारतीय परंपराओं की ओर लौट रहे हैं।

रिपोर्ट : हिन्दुस्तान मिरर

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