“हलाल सर्टिफिकेशन पर विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका स्वीकार की”

हिन्दुस्तान मिरर :उत्तर प्रदेश में हलाल सर्टिफिकेट वाले उत्पादों पर लगाए गए प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत के समक्ष यह कहते हुए आश्चर्य व्यक्त किया कि सीमेंट, सरिया, आटा, बेसन और पानी की बोतल जैसे उत्पादों को भी हलाल सर्टिफिकेट प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि बेसन जैसे शाकाहारी उत्पाद हलाल या गैर-हलाल कैसे हो सकते हैं।

मेहता ने यह भी बताया कि हलाल सर्टिफिकेशन एजेंसियां प्रमाणन प्रक्रिया से लाखों करोड़ रुपये कमा रही हैं, और यह लागत अंततः उपभोक्ताओं पर पड़ती है, जिससे उत्पाद महंगे हो जाते हैं। उन्होंने न्यायालय से इस मुद्दे पर विचार करने का आग्रह किया कि देशभर के लोगों को महंगे हलाल सर्टिफाइड उत्पाद सिर्फ इसलिए खरीदने पड़ रहे हैं, क्योंकि कुछ लोगों ने उनकी मांग की है।

जमीयत उलेमा ए हिंद की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एम. आर. शमशाद ने तर्क दिया कि हलाल सर्टिफिकेशन केवल मांसाहारी उत्पादों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवनशैली से संबंधित है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कई खाद्य पदार्थों में प्रिजर्वेटिव के रूप में अल्कोहल का उपयोग होता है, जो उन्हें गैर-हलाल बनाता है। इसके अलावा, लिपस्टिक जैसे मेकअप उत्पाद भी हलाल या गैर-हलाल हो सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई मार्च 2025 के अंतिम सप्ताह में निर्धारित की है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश सरकार को इस मामले में कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का जो पूर्व आदेश था, वह तब तक जारी रहेगा।

यह मामला तब सामने आया जब उत्तर प्रदेश सरकार ने नवंबर 2023 में हलाल सर्टिफिकेट वाले खाद्य पदार्थों, दवाओं और कॉस्मेटिक्स समेत अन्य उत्पादों के निर्माण, बिक्री और भंडारण पर प्रतिबंध लगाया था। इस फैसले को जमीयत उलेमा ए हिंद और हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

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