ओपन-सोर्स समाधानों के माध्यम से पुस्तकालयों को सशक्त बनाना: कोहा और डी-स्पेस पर राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन

अलीगढ़, 27 जनवरी:
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) की मौलाना आजाद लाइब्रेरी द्वारा आयोजित “ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर: कोहा और डी-स्पेस” पर छह दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला 25 जनवरी को सफलतापूर्वक संपन्न हो गई। 20 से 25 जनवरी तक चली इस कार्यशाला में देशभर के विभिन्न राज्यों से 90 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें दिल्ली, हरियाणा, मणिपुर, उत्तर प्रदेश, असम, तेलंगाना, बिहार, सिक्किम और राजस्थान से आए प्रतिनिधि शामिल थे।


कार्यशाला का उद्देश्य और मुख्य विषय

इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर के व्यावहारिक ज्ञान के माध्यम से पुस्तकालय पेशेवरों को सशक्त बनाना था। इसमें कोहा, एक एकीकृत पुस्तकालय प्रबंधन प्रणाली (आईएलएमएस), और डी-स्पेस, एक डिजिटल रिपोजिटरी समाधान, पर विशेष ध्यान दिया गया।
प्रतिभागियों को इन सॉफ्टवेयरों के उपयोग, स्थापना, कॉन्फिगरेशन, अनुकूलन और सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में गहन प्रशिक्षण दिया गया। कार्यशाला में कम लागत वाले संसाधनों को बढ़ावा देने और इन्हें शैक्षणिक व सार्वजनिक पुस्तकालयों में लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।


मुख्य अतिथि का वक्तव्य

कार्यशाला के समापन सत्र के मुख्य अतिथि, तेजपुर विश्वविद्यालय और दून विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. विनोद कुमार जैन ने ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर की परिवर्तनकारी क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने सरकारी कपिला योजना के महत्व पर भी चर्चा की और पुस्तकालयों में ओपन-सोर्स समाधानों के उपयोग को प्रोत्साहित किया।


विशेषज्ञ वक्ता और संसाधन पैनल

कार्यशाला में देश-विदेश के विशेषज्ञ वक्ताओं ने अपने विचार साझा किए।
इस पैनल में निम्नलिखित प्रमुख नाम शामिल थे:

  • क्रिस्टोफर कॉर्मैक (न्यूजीलैंड)
  • प्रो. आदित्य त्रिपाठी (बीएचयू)
  • प्रो. पार्थसारथी मुखोपाध्याय (कल्याणी विश्वविद्यालय)
  • डॉ. जमील अहमद (जामिया मिलिया इस्लामिया)
  • विजय प्रताप सिंह (ईएलआईबीएसएल, नई दिल्ली)
  • डॉ. सैफुल अमीन (सिमेंटिक कंसल्टिंग सर्विसेज, बैंगलोर)

प्रमुख वक्तव्यों का सारांश

  1. डॉ. मुस्तफा जैदी:
    उन्होंने सॉफ्टवेयर अनुकूलन के महत्व पर बल देते हुए पुस्तकालयों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मौलाना आजाद लाइब्रेरी की पहल की सराहना की।
  2. प्रो. निशात फातिमा (पुस्तकालयाध्यक्ष एवं कार्यशाला संयोजक):
    आधुनिक पुस्तकालयों में ओपन-सोर्स समाधानों को अपनाने के महत्व को रेखांकित किया।
  3. डॉ. मोनव्वर इकबाल (कार्यशाला समन्वयक):
    कार्यशाला की रिपोर्ट प्रस्तुत की और 19 तकनीकी सत्रों और व्यावहारिक प्रशिक्षण की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।

समापन समारोह

कार्यशाला के समापन सत्र का संचालन डॉ. सैयद शाज हुसैन ने प्रतिभागियों के परिचय के साथ किया। अंत में मौलाना आजाद लाइब्रेरी के सहायक लाइब्रेरियन डॉ. टी.एस. असगर ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

यह कार्यशाला पुस्तकालय पेशेवरों के लिए ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर पर व्यावहारिक ज्ञान का एक अनूठा अवसर बनकर उभरी और इसे आधुनिक पुस्तकालय प्रबंधन के क्षेत्र में एक मील का पत्थर माना जा रहा है।

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