27 से 29 जनवरी तक दिखा अद्भुत संयोग, छह ग्रहों की एक साथ हुई संरेखण
अलीगढ़, 31 जनवरी: खगोलीय घटनाओं में रुचि रखने वालों के लिए अलीगढ़ का आसमान 27 से 29 जनवरी, 2025 तक एक अद्भुत नज़ारा बना। छह प्रमुख ग्रह—बृहस्पति, मंगल, नेपच्यून, शनि, यूरेनस और शुक्र—एक विशेष खगोलीय संरेखण में आए, जिसे “प्लैनेट परेड-2025” के नाम से जाना गया। यह अद्भुत खगोलीय घटना तीन रातों तक चली और हजारों खगोल प्रेमियों को अपने आकर्षण में बांध लिया।
एएमयू में जुटे सैकड़ों खगोल प्रेमी
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के भौतिकी विभाग की छत पर लगे उच्च-क्षमता वाले टेलीस्कोप के माध्यम से इस घटना का अवलोकन करने के लिए 400 से अधिक छात्र, स्कूली बच्चे, शिक्षक और अधिकारी एकत्रित हुए। इस दौरान न सिर्फ छात्रों और वैज्ञानिकों बल्कि प्रशासनिक अधिकारियों ने भी इस दुर्लभ खगोलीय घटना का आनंद लिया।
इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले प्रमुख अधिकारियों में कासगंज जिले के उपजिलाधिकारी अनेक सिंह, अलीगढ़ के विज्ञान समन्वयक राजीव अग्रवाल, कासगंज के विज्ञान समन्वयक जयंत गुप्ता और राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, अलीगढ़ की प्रो. सुरभि गुप्ता प्रमुख रूप से मौजूद रहीं।
खगोलशास्त्रियों और शिक्षकों ने किया ज्ञानवर्धन
एएमयू के प्रतिष्ठित शिक्षकों—प्रो. बी. पी. सिंह, प्रो. शकील अहमद और प्रो. शकेब अहमद—ने ग्रहों के संरेखण पर विस्तार से चर्चा की और खगोल विज्ञान में रुचि रखने वाले लोगों को इस घटना का महत्व समझाया। उन्होंने बताया कि यह संरेखण न केवल एक मनोरम दृश्य था, बल्कि यह खगोलशास्त्र के शोध के लिए भी एक महत्वपूर्ण अवसर था।
ग्रहों की संरेखण और टाइको ब्राहे का योगदान
भौतिकी विभाग के अध्यक्ष प्रो. अनीसुल ऐन उस्मानी ने इस अवसर पर एक विस्तृत व्याख्यान दिया। उन्होंने डेनिश खगोलशास्त्री टाइको ब्राहे के अग्रणी कार्य पर प्रकाश डाला, जिन्होंने 16वीं शताब्दी में ग्रहों की गति पर सटीक अवलोकन किए थे। उनके इन्हीं अवलोकनों के आधार पर बाद में जोहान्स केप्लर ने ग्रह गति के नियम प्रतिपादित किए, जो आज भी खगोल विज्ञान का एक महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।
प्रो. उस्मानी ने यह भी बताया कि एएमयू की दूरबीन सुविधा को जल्द ही एक पूर्ण वेधशाला में बदला जाएगा। यह परियोजना खगोलीय अनुसंधान में विश्वविद्यालय की स्थिति को और मजबूत करेगी और छात्रों व शोधकर्ताओं को एक अत्याधुनिक मंच प्रदान करेगी।
वैज्ञानिक महत्व और ब्रह्मांडीय व्यवस्था की झलक
टेलीस्कोप सुविधा के प्रभारी डॉ. सुधीर गुप्ता ने ग्रहों की इस परेड के वैज्ञानिक महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि भले ही ये ग्रह करोड़ों से लेकर अरबों किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं, लेकिन यह संरेखण ब्रह्मांडीय व्यवस्था की एक गहरी झलक पेश करता है।
डॉ. गुप्ता ने यह भी बताया कि इस तरह की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि ग्रहों की कक्षाओं में एक निश्चित पैटर्न होता है, जिससे खगोलविद ग्रहों के भविष्य के संरेखण और उनकी कक्षाओं में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन कर सकते हैं।
तकनीकी विशेषज्ञों और शिक्षकों की टीम ने निभाई अहम भूमिका
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में यूनिवर्सिटी पॉलिटेक्निक के विज्ञान अनुभाग के शिक्षकों और तकनीकी विशेषज्ञों ने भी अहम योगदान दिया। इनमें प्रमुख रूप से डॉ. हारिस कुनारी, डॉ. जेन आलम, डॉ. मोहम्मद अदनान, डॉ. दानिश आज़मी और डॉ. शफीकुल्लाह शामिल थे।
इन्होंने अपनी तकनीकी विशेषज्ञता और अनुभव के माध्यम से टेलीस्कोप की व्यवस्था और अवलोकन को सुचारू रूप से संचालित किया, जिससे उपस्थित दर्शक इस अद्भुत खगोलीय नज़ारे का पूरा लाभ उठा सके।
खगोलीय घटनाओं के प्रति बढ़ती रुचि
प्लैनेट परेड-2025 जैसी दुर्लभ खगोलीय घटनाएं लोगों में ब्रह्मांड के प्रति जिज्ञासा और विज्ञान के प्रति रुचि को बढ़ावा देती हैं। जैसे-जैसे यह संरेखण खत्म होता जा रहा है, यह घटना खगोल प्रेमियों को ब्रह्मांड की विशालता और रहस्यों की ओर प्रेरित करती रहेगी।
इस कार्यक्रम ने यह भी साबित कर दिया कि भारत में खगोल विज्ञान के प्रति उत्साह बढ़ रहा है, और भविष्य में ऐसे आयोजनों से नई पीढ़ी को वैज्ञानिक शोध की दिशा में प्रेरित किया जा सकता है।